Uttarakhand: धामी कैबिनेट के आज के अहम फैसले

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देहरादून: धामी कैबिनेट के अहम फैसले:
  • उत्तराखण्ड सचिवालय सुरक्षा सेवा संशोधन नियमावली 2022 में रक्षक पद हेतु शैक्षिक अर्हता उत्तराखण्ड पुलिस आरक्षी की भांति हाईस्कूल से बढाकर इण्टरमीडिएट का प्राविधान किया गया है। नियमावली में रक्षक पद की सीधी भर्ती और पदोन्नति का अनुपात 60:40 को परिवर्तित कर 90:10 का प्राविधान किया गया है। नियमावली में रक्षक के पद हेतु आयु सीमा 18-35 वर्ष को परिवर्तित कर 18-30 वर्ष से किये जाने का प्राविधान किया गया है।
  • उत्तराखण्ड राज्य अवस्थित न्यायालयों से दण्डित सिद्धदोष बन्दियों को उनके निकट परिजन की बीमारी, मृत्यु भाई बहन / पुत्र-पुत्री के विवाह इत्यादि में सम्मिलित होने के लिए पैरोल प्रदान किये जाने के उद्देश्य से प्रख्यापित उत्तराखण्ड (बन्दियों के दण्डादेश का निलम्बन) नियमावली, 2017 समय-समय पर यथासंशोधित में कतिपय संशोधन की आवश्यकता के दृष्टिगत उक्त नियमावली के नियम 3. 4 एवं 7 में संशोधन करते हुए उत्तराखण्ड (बन्दियों के दण्डादेश का निलम्बन) (संशोधन) नियमावली 2022 प्रख्यापित किये जाने का निर्णय लिया गया है।
  • जनपद उधम सिंह नगर में सिडकुल क्षेत्र के बाहर लोक निर्माण विभाग के स्वामित्व वाले 05 मोटर मार्गों पर सिडकुल द्वारा किये जा चुके सुधार कार्य के पश्चात मार्गों को (जहां है जैसा है) के आधार पर लोक निर्माण विभाग को हस्तान्तरित करने एवं भविष्य में होने वाले कार्यों को एस०आई०टी० जांच आयोग की परिधि से बाहर रखने के सम्बन्ध में मंत्रिमण्डल द्वारा सहमति प्रदान की गयी है।
  • मुख्य अभियन्ता (वि0/यॉ०) का वर्तमान में कोई पद सृजित नहीं है, अतः कार्य की आवश्यकता के आधार पर मुख्य अभियन्ता (वि0/यॉ०) स्तर-2 का एक पद सृजित किया जाना प्रस्तावित है। उक्त के अतिरिक्त पी0एम0जी0एस0वाई0 एन0एच0आई0 एण्डी०बी० विश्व बैंक एवं अन्य विभागों में तैनाती व इसके द्वारा विभागीय हित में कार्यानुभव / एक्सपोजर प्राप्त करने के उद्देश्य से अधिशासी अभियन्ता (सिविल) एवं सहायक अभियन्ता (सिविल) के स्तर पर क्रमशः 03 एवं 37 प्रतिनियुक्ति के पदों का सृजन करना भी प्रस्तावित है। लोक निर्माण विभाग के अन्तर्गत सेवा संवर्ग के कार्मिक द्वाचों/पदों की वर्तमान समय एवं भविष्य की आवश्यकताओं एवं मितव्ययता को ध्यान में रखते हुए आवश्यक व कुशल कार्मिक प्रबन्धन के दृष्टिगत वर्तमान कार्मिक ढाचें में सृजित कुल 2057 पर्दा (संवर्गीय 1733 निःसंवर्गीय 319 प्रतिनियुक्ति 05) में से 363 पद कम + + अर्थात कुल 1694 पदों (संवर्गीय 1654 निःसंवर्गीय 00 प्रतिनियुक्ति 40 ) के करते हुए ढांचे के निर्धारण के प्रस्ताव पर मंत्रिमण्डल द्वारा स्वीकृति / अनुमोदन प्रदान किया जाना प्रस्तावित है।
  • यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी रूड़की, हरिद्वार की प्रायोजक न्यास सेठ रोशन लाल जैन ट्रस्ट, हरिद्वार के पास कोर नाम से शिक्षण संस्थान संचालित किये जाने का इतिहास व अधिकार होने एवं कोर नाम की विरासत को आगे बढ़ाये जाने के दृष्टिगत प्रस्तावित यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टैक्नोलॉजी रूडकी (संशोधन) विधेयक, 2022 के माध्यम से यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टैक्नोलोजी रूड़की के नाम में संशोधन कर कोर यूनिवर्सिटी किया जाना है। प्रस्तावित विधेयक को आगामी विधान सभा के समक्ष पुरःस्थापित किया जाने हेतु मंत्रिमण्डल का अनुमोदन निवेदित है।
  • राज्य की भौगोलिक परिस्थिति के दृष्टिगत राज्य के अधिकांश क्षेत्र के युवाओं हेतु गुणवत्तापूर्ण व्यवसायिक प्रशिक्षण उनके नजदीक उपलब्ध कराने हेतु स्वीकृत संस्थानों में से 20 अन्य ऐसे संस्थानों जहाँ प्रशिक्षणार्थी एवं प्रशिक्षक भी उपलब्ध हो सके तथा इण्डस्ट्री भी रूचि ले सके का उन्नयन इण्डस्ट्री 4.0 के अनुरूप किये जाने पर विचार किया जाना है। प्रस्तावित 20 राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में अनुमानित 10 करोड प्रति संस्थान के आधार पर कुल 20 आई०टी०आई० हेतु 200 करोड का व्यय इस पूरी योजना में होना सम्भावित है। अन्य राज्यों के अनुभवों के आधार पर उक्त 200 करोड़ में से राज्य सरकार द्वारा कुल 25 प्रतिशत के लगभग अर्थात 50 करोड राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाना होगा वास्तविक परियोजना का आकार प्राप्त प्रस्तावों तथा प्रस्तावों के परीक्षण उपरान्त अनुमोदित धनराशि के अनुसार होगा प्रस्तावित योजना के पूर्ण होने की दशा में राज्य के 44 राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों का उन्नयन इस प्रकार हो सकेगा कि उनमें प्रशिक्षणरत प्रशिक्षणार्थी उत्तीण होने के उपरान्त उद्योगों की मांग के अनुसार तैयार हो सकेगें तथा उनकी रोजगारपरकता में निश्चित ही वृद्धि होगी।
  • शहरी क्षेत्रों में संचालित होने वाली सिटी बसों को मोटरयान कर में शत प्रतिशत छूट प्रदान किया जाना अपेक्षित है इस प्रकार का निर्णय लिए जाने पर राज्य सरकार को प्रतिवर्ष लगभग 27.00 लाख मोटरयान कर की हानि संभावित है एंव राज्य परिवहन निगम के द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों में सार्वजनिक बस परिवहन सुविधा दिए जाने हेतु मोटरयान कर की प्रचलित दरों में दी जा रही 50 प्रतिशत छूट को 75 प्रतिशत किया जाना अपेक्षित है। इस छूट के फलस्वरूप राज्य सरकार को लगभग 2.27 करोड़ की वार्षिक हानि होगी।
    उक्त सुधारों को किए जाने का उद्देश्य सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था को बेहत्तर बनाया जाना तथा आम जनता को सस्ती एवं न्यायोचित दर पर परिवहन की सुविधा सुलभ कराया जाना है।
  • उत्तराखण्ड परिवहन विभाग प्रवर्त्तन कर्मचारी वर्ग सेवा (संशोधन) नियमावली 2021 प्रख्यापित है, प्रचलित नियमावली के अनुसार प्रवर्तन सिपाही के एक तिहाई पदों पर भर्ती चतुर्थ श्रेणी के कार्मिकों की पदोन्नति के माध्यम से की जाती है। वर्तमान में चतुर्थ श्रेणी (समूह घ) का पद मृत संवर्ग घोषित होने, विभागान्तर्गत चतुर्थ श्रेणी के पद पर कार्यरत कार्मिकों के अभाव एवं विभागान्तर्गत प्रवर्तन सिपाही के रिक्त पदों की संख्या अधिक होने के दृष्टिगत् प्रवर्तन सिपाही के रिक्त पदों को शत प्रतिशत सीधी भर्ती के माध्यम से भरे जाने हेतु प्रस्ताव किया गया है।
  • वर्तमान में निःशक्त व्यक्तियों को अचल सम्पत्ति, भूखण्ड, मकान आदि कय करने में 10 लाख मूल्य की सीमा तक प्रभार्य स्टाम्प शुल्क में 25 प्रतिशत छूट प्रभावी है, जबकि महिलाओं हेतु उक्त छूट की सीमा रूपये 25 लाख निर्धारित की गयी है। महिलाओं को प्रदत्त स्टाम्प शुल्क में छूट के समान ही निःशक्त व्यक्तियों को भी रूपये 25 लाख मूल्य तक की सम्पत्ति पर प्रभार्य स्टाम्प शुल्क में 25% छूट अधिकतम 02 बार ही अनुमन्य किये जाने हेतु प्रस्ताव किया जा रहा है।
  • राज्य में विभिन्न शहरों में जनसंख्या वृद्धि तथा व्यावसायिक एवं पर्यटन से संबंधित गतिविधियों में वृद्धि हाने के दृष्टिगत पार्किंग को सुव्यवस्थित, सुदृढ एवं नियोजित किये जाने के उद्देश्य से उत्तराखण्ड राज्य में पार्किंग निर्माण किये जाने की अत्यधिक आवश्यकता है। देश का प्रमुख पर्यटन प्रदेश होन से, राज्य में वर्ष भर देश विदेश से यात्रियों का आवागमन होता है, इसके अतिरिक्त राज्य में वाहनों की संख्या में निरन्तर तीव्र गति से वृद्धि हो रही है। राज्य में आने वाले पर्यटकों एवं स्थानीय निवासियों हेतु भी सावर्जनिक सुलभ पार्किंग की उपलब्धता न होने से मुख्य मार्गों पर वाहनों की पार्किंग की जाती है। ट्रैफिक जाम के कारण ईंधन की खपत अधिक होती है जिसके पर्यावरणीय प्रभाव के साथ-साथ नागरिकों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकुल प्रभाव पड़ता है। पर्यटन प्रदेश होने के कारण आने वाले पर्यटकों को भी सुलभ आवागमन की सेवा प्रदान किये जाने में कठिनाई होती है। स्थानीय स्तर पर पार्किंग की उपलब्धता, सुलभ आवागमन की सुविधा प्रदान करेगी, जिससे पर्यटकों की संख्या में अपेक्षित वृद्धि होगी। इसके साथ-साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन के अवसर भी उपलब्ध होंगे। अतः उत्तराखण्ड राज्य पार्किंग (स्थल चयन, निर्माण एवं संचालन इत्यादि) नियमावली, 2022″ का प्रख्यापन किया जान है।
  • केन्द्रीय मंत्रिमण्डल द्वारा सहमति प्रदान की गयी कि रेलवे / रेल भूमि विकास प्राधिकरण / भारतीय रेलवे स्टेशन विकास प्राधिकरण द्वारा रेल भूमि के विकास की योजना तैयार किए जाने के दौरान स्थानीय निकायों एवं प्राधिकरणों के साथ समन्वय स्थापित किया जायेगा, जिससे आस-पास के क्षेत्र के विकास से सामंजस्यपूर्ण स्थापित करते हुए कार्यवाही की जा सके। यह भी निर्णय लिया गया कि सम्पूर्ण भारत में रेलवे विभाग द्वारा वाणिज्यिक उपयोग हेतु रेल भूमि का विकास किए जाने हेतु भूमि के भू-उपयोग परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होगी। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश राज्य की भाँति राज्य में रेलवे विभाग द्वारा Monetize की जा रही भूमि के भू-उपयोग में कोई परिवर्तन की आवश्यकता न होने का प्राविधान प्रस्तावित किया गया है।
  • हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा जल विद्युत परियोजनाओं को और अधिक व्यावहारिक एवं वित्तीय रूप से युक्तियुक्त बनाये जाने हेतु स्वर्ण जयन्ती ऊर्जा नीति 2021 अधिसूचित की गयी है, जिसमे जल विद्युत परियोजनाओं के क्षमता वृद्धि हेतु लिये जाने वाले प्रीमियम, परियोजना के अशधारिता में परिवर्तन 25 मे०वा० तक की जल विद्युत परियोजनाओं से राज्य डिस्कॉम के द्वारा अनिवार्य विद्युत कय परियोजना के निर्माण के समय उत्पन्न खनिज के परियोजना निर्माण हेतु उपयोग, परियोजना की परिचालन अवधि तथा One Time Amnesty Scheme हेतु नवीनतम प्राविधान किये गये है। उत्तराखण्ड राज्य में भी जल विद्युत परियोजनाओं के विकास एवं निर्माण को बढ़ावा दिये जाने हेतु हिमांचल प्रदेश राज्य के द्वारा जल विद्युत नीतियों में किये गये नवीनतम प्राविधानों के अनुरूप राज्य की जल विद्युत नीतियों (यथा 02-25 मे०वॉ0, 25-100 मे०वॉ० एवं 100 मे0वाँ से अधिक) एवं तत्सम्बन्धी अन्य संगत अधिसूचनाओं में आवश्यक प्राविधान / संशोधन विषयक प्रस्ताव मा० मंत्रिमण्डल के समक्ष निर्णय हेतु निवेदित है।
  • लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना के निर्माण हेतु 204 मी ऊँचे कंकीट ग्रेविटी बांध, इनटेक, (3X100) मेगावॉट क्षमता के भूमिगत विद्युत गृह एंव सम्बन्धित अवशेष जानपदीय कार्यों रू 3358.75 करोड़ की अनुमानित लागत हेतु उत्तराखण्ड जल विद्युत निगम द्वारा आमंत्रित ई-निविदा दिनांक 30.12.2021 के अन्तर्गत मैसर्स एल० एण्ड टी० लिमिटेड की प्राप्त एकल निविदा को खोलने हेतु सशर्त मा० मंत्रिमण्डल का आदेश / अनुमोदन / अनुमति निवेदित है।
  • केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों को चार श्रम संहिताओं में समाहित कर उनके सरलीकरण एवं सम सामयिक आर्थिक सामाजिक परिवेश में प्रासंगिकता के उद्देश्य से सभी राज्य सरकारों को उक्त संहिताओं के विषय मे राज्य के नियम बनाने की अपेक्षा की गई है। इस क्रम में उत्तराखण्ड राज्य द्वारा औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 के अंतर्गत उत्तराखण्ड औद्योगिक संबंध नियमावली 2022 प्रस्तावित की जा रही है। इन नियमों में मुख्यतः व्यापार के सरलीकरण और उद्योगों को अनुकूल वातावरण देने के साथ साथ कर्मचारी हितों को भी समयबद्ध तरीके से दिए जाने के संबंध में प्रावधान किए गए हैं। औद्योगिक न्यायाधिकरण द्वारा कर्मचारी वादों के सुने जाने हेतु प्रक्रिया समयबद्ध की गई है। इससे श्रमिक वादों के निस्तारण में तेजी आएगी साथ ही प्रदेश में उद्योगों तथा कर्मचारियों के हित में संतुलित परिवेश स्थापित होगा।
  • राजस्व परिषद् कार्यालय में राजस्व परिषद हेतु स्वीकृत ढांचे के सापेक्ष समीक्षा अधिकारी पद से उप राजस्व आयुक्त (प्रशा०) के पदों पर पदोन्नति न होने से महत्वपूर्ण प्रशासकीय कार्यों में विलम्ब तथा कार्यों के लम्बित रहने की स्थिति में राजस्व परिषद् के अवरूद्ध कार्यों के सफल / सुचारू कार्य संचालन के दृष्टिगत् परिषद् कार्यालय हेतु उत्तराखण्ड राजस्व परिषद्, अनुभाग अधिकारी, सहायक राजस्व आयुक्त (प्रशा० ) एवं उप राजस्व आयुक्त (प्रशा० ) सेवा नियमावली 2022 के प्रख्यापन किये जाने के संबंध में प्रस्ताव मंत्रिमण्डल के समक्ष निर्णय हेतु प्रस्तुत किया गया है।
  • राज्य सरकार द्वारा पर्यटन को बढ़ावा दिये जाने हेतु राज्य में सुनियोजित विकास किया जा रहा है। इस क्रम में जनपद अल्मोड़ा के अन्तर्गत श्री जागेश्वर धाम एवं जनपद देहरादून के अन्तर्गत महासू देवता का विकास भी श्री केदारनाथ धाम के तर्ज पर प्रस्तावित है। अतः श्री जागेश्वर धाम एवं महासू देवता के विकास हेतु Architecture Service Design Consultancy से सम्बन्धित सेवायें आई0एन0आई0 डिजाईन, अहमदाबाद से प्राप्त किये जाने की अनुमति प्राप्त की गयी है।
  • राजकीय एवं सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालयों में कक्षा-9 से कक्षा-12 तक अध्ययनरत समस्त छात्र-छात्राओं (सामान्य पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति) को आगामी वित्तीय वर्ष 2023-24 में निःशुल्क पाठ्य पुस्तक योजना से लाभान्वित किये जाने के प्रस्ताव पर मंत्रिमण्डल का अनुमोदन प्राप्त किया जाना प्रस्तावित है।
  • उत्तराखण्ड की पंचम विधान सभा, 2022 के तृतीय सत्र दिनांक 29 नवम्बर 2022 के उपवेशन से प्रारम्भ होकर दिनांक 30 नवम्बर 2022 को अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गया है। विषयगत सत्र हेतु विधायी विभाग के स्तर पर कोई विधायी कार्य अवशेष न होने के दृष्टिगत पंचम विधान सभा, 2022 के तृतीय सत्र का सत्रावसान तत्काल प्रभाव से कर दिये जाने हेतु प्रस्ताव मंत्रिमण्डल के आदेशार्थ प्रस्तुत किये जाने का प्रस्ताव किया गया था, जिस पर मुख्यमंत्री द्वारा विचलन से अनुमोदन प्रदान कर दिया गया है। तद्क्रम में अग्रेत्तर कार्रवाई करने हेतु प्रभारी सचिव विधान सभा को सूचना प्रेषित कर दी गयी है।
  • उत्तराखण्ड लॉजिस्टिक्स नीति- 2022 को प्रख्यापित करने का निर्णय लिया गया है। लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के तीव्र विकास के लिए एक सरलीकृत सक्रिय और उत्तरदायी संस्थागत तंत्र का निर्माण गोदामों, अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (आईसीडी), कोल्ड स्टोरेज, औद्योगिक संपदाओं / क्लस्टरों से रेल- सड़क कनेक्टिविटी आदि जैसे नए और मौजूदा लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढांचे का सुदृढीकरण। राज्य को एक हब स्पोक लॉजिस्टिक्स मॉडल के रूप में प्रतिस्थापित करना, जिससे पर्वतीय तथा मैदानी क्षेत्रों के बीच आर्थिक सम्बन्ध मजबूत हों तथा लॉजिस्टिक्स के लिए संपूर्ण व्यावसायिक मूल्य श्रृंखला में लाभ सृजित हो सके। राज्य में प्रतिस्पर्धी लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए हरित और नवीन प्रथाओं को बढ़ावा देना फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिकेजेस के साथ प्रदेश में लॉजिस्टिक्स सुविधाओं की स्थापना हेतु निजी निवेश को बढ़ावा देना। आर्थिक गतिविधियों तथा बृहद स्तर पर रोजगार प्रोत्साहन हेतु विद्यमान वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स अवस्थापना सुविधाओं का उच्चीकरण तथा सुधार। मौजूदा और नए लॉजिस्टिक्स ऑपरेटरों को हैंडहोल्डिंग सहायता प्रदान करना। लॉजिस्टिक्स को बढ़ावा देने से जुड़ी सभी राष्ट्रीय और वैश्विक एजेंसियों के साथ समन्वय एवं ग्रीन एवं इनोवेटिव लॉजिस्टिक्स को बढ़ावा देते हुए प्रदेश में प्रतिस्पर्धी लॉजिस्टिक्स अवस्थापना सुविधाओं को विकसित करना।

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