उत्तराखंड में नौ साल में नौ हेलीकॉप्टर क्रैश, चूक कहाँ, जिम्मेदार कौन?

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देहरादून: केदारनाथ में बीते सोमवार को हेलीपैड़ पर क्रैश हुए यूटीयर हेली कंपनी के हेलीकॉप्टर दुर्घटना की जांच के लिए आज केदारनाथ जांच टीम पहुंची। बता दें कि, घटना के समय हेलीकॉप्टर में पायलट समेत छह लोग सवार थे। गनीमत यह रही कि हेलीकॉप्टर में सवार लोग सुरक्षित थे। इस हादसे से हेलीकॉप्टर के साथ ही हेलीपैड भी क्षतिग्रस्त हुआ।

गौरतलब है कि, वर्ष 2010 से उत्तराखंड में अब तक नौ हेलीकॉप्टर क्रैश हो चुके हैं। इसमें से एमआई- 17 समेत सात हेलीकॉप्टर तो केदार घाटी में ही दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। वहीँ एक बद्रीनाथ में और एक उत्तरकाशी में दुर्घटनाग्रस्त हुए। हाल ही में उत्तरकाशी के आपदा प्रभावित इलाके आराकोट में राहत सामग्री पहुंचाते समय एक हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। दुर्घटना में हेलीकॉप्टर में सवार एक पॉयलट, इंजीनियर व एक स्थानीय युवक की मौत हो गई थी। करीब दो साल पहले भी केदारनाथ में एक हेलीकॉप्टर हेलीपैड़ पर फिसल कर क्षतिग्रस्त हो गया था।

इसके आलावा केदारनाथ आपदा के बाद चलाए गए रेस्कयू ऑपरेशन में सेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर खराब मौसम के चलते जंगलचट्टी में पहाडियों से टकराकर क्रैश हो गए था। इसमें 20 जवानों की मौत हो गई थी। इसके अलावा तीन निजी कंपनियों के हेलीकॉप्टर भी इसी इलाकों में क्रैश हो गए थे।

ऐसे में लगातार हो रहे दुर्घटनाओं से डीजीसीए पर भी सवाल खड़े होते हैं कि, आखिर कहाँ चूक रह जाती है, कि तमाम नियमों के बाद भी कई मामलों में निजी कम्पनियों की लापरवाही सामने आती है और यह लापरवाही लोगों की जान पर भारी पड़ जाती है।

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