लोकगीत “रे मालू” संसोधन के साथ रिलीज, नए कलेवर में और भी आकर्षक

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देहरादून: उत्तराखंड की लोकप्रिय गायिका संगीता ढौंडियाल का नया लोकगीत ‘रे मालू’ उनके यूट्यूब चैनल पर एक बार फिर रिलीज किया गया। इससे पहले यह गीत दो अगस्त को एक निजी होटल में आयोजित विमोचन कार्यक्रम में रिलीज किया गया था। जिसमे सहयोग करने वाले अन्य कलाकारों ने भी प्रतिभाग किया। लेकिन कुछ शब्दों पर आपत्ति जताते हुए राठी क्षेत्र में इस लोकगीत का विरोध देखने को मिला, जिसके बाद संगीता ढौंडियाल ने उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए इस गीत को दुबारा से संशोधित किया। हालाँकि ये शब्द पहले भी  लोकगीतों में प्रयोग होते रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा था कि, वे खुद राठ की बेटी हैं और राठ से बहुत प्यार करते हैं।

‘रे मालू’ एक पुराना लोकगीत है, इसको नई धुन और अपनी आवाज के साथ उन्होंने नए कलेवर में पेश किया है। साथ ही गीत का फिल्मांकन पारंपरिक परिधानों में कई बेहतर लोकेशन पर किया गया है।

क्या थी आपत्ति?

राठ क्षेत्र को आपत्ति थी कि, गीत में राठी क्षेत्र को पापी शब्द प्रयोग में लाया गया है। हालाँकि संगीता ढौंडियाल ने बताया कि, ‘पापी’ पहाड़ की आम बोलचाल में प्रयुक्त किया जाता रहा है। ‘पापी पराण’ आदि शब्द लोग बोलते आये हैं। ‘रे मालू’ चमोली का चांचरी गीत है, जो चमोली की लडकी की ब्यथा है कि, दोनों क्षेत्रों की जीवन शैली काफी अलग है। ऐसे में वह शादी के बाद कैसे समायोजित करेगी। फिर भी सामान्य शब्द होने के चलते उन्होंने राठी शब्द को गीत से हटा दिया।

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