जानिए सीमांत ग्रामीणों ने किससे आहात होकर कहा कि, इससे अच्छा हमें नेपाल में मिला दें

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पिथौरागढ़: सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर लाख दावे कर रही हो, लेकिन इस पहाड़ी राज्य के दुरस्त क्षेत्रों की शिक्षा व्यवस्था शासन-प्रशासन की घोर उपेक्षा का शिकार हैं। मामला भारत-नेपाल सीमा से सटे राजकीय इंटर कॉलेज पीपली का है, जहाँ मात्र तीन शिक्षकों के भरोसे चल रहा है। जिसके चलते यहाँ पढ़ने वाले 254 विद्यार्थियों की पढ़ाई चौपट होने के कगार पर पहुँच गई है। शिक्षकों की कमी से भड़के छात्रों और अभिभावकों ने जिला कलक्ट्रेट पर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी छात्र और अभिभावकों ने स्कूल में जल्द शिक्षकों की नियुक्ति की मांग की है।

प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि, वो पहले भी शिक्षकों की कमी को लेकर जिला स्तरीय अधिकारियो से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उन्हें आज तक सिवाय आश्वासनों ने कुछ नहीं मिला। इंटर कालेज में 254 छात्र पढ़ते हैं, लेकिन पूरे स्कूल में विज्ञान और कला संकाय में मात्र तीन ही शिक्षक हैं। जिससे विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। साथ ही नया सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन छात्रों को पढ़ाने वाले शिक्षक ही नहीं मिल रहे। छात्रों ने ज़िले की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि, उन्हें एक छात्र होकर शिक्षकों के लिए सड़को पर उतरना पड़ रहा है,  इससे ज्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता है। ऐसे में वे पढ़ाई करें या फिर शिक्षकों के लिए आंदोलन करें।

पहले से ही कई मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे इस सीमांत इलाके में अब सरकारी स्कूलों में भी पढ़ाई चौपट होने से ग्रामीणों में भी नाराजगी है। शासन-प्रशासन की उपेक्षा से आहात होकर विद्यालय प्रबंधन समिति अध्यक्ष और अभिभावक हरसिंह कठायत ने सूबे के शिक्षा मंत्री को सम्बोधित करते हुए यह तक कहा कि, यदि वो शिक्षक नहीं दे सकते है तो उन्हें नेपाल में मिला दें। साथ ही उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि, यदि जल्द ही सीमांत क्षेत्र के स्कूल में शिक्षक नहीं भेजे गए तो वे आत्महत्या को बाध्य होंगे।

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