ब्लड बैंक की मार झेल रहा सरकारी अस्पताल, मरीजों को हो रही परेशानी

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खटीमा: उत्तराखण्ड का सीमान्त इलाका खटीमा लम्बे समय से  ब्लड बैंक के लिए तरस रहा है। प्रदेश सरकार वैसे तो स्वास्थय सुविधाओं में सुधार की बात कहती है लेकिन जिस तरह से खटीमा के लोगों को अस्पताल होते हुए भी खून के लिए तरसना पड़ रहा है वो वाकई सरकार की कार्य़प्रणाली पर सवाल खड़े करता है।

सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर खटीमा में करोड़ो की लागत से नागरिक चिकित्सालय तो बना डाला लेकिन सरकारी अस्पताल के भवन के साथ बना ब्लड बैंक भवन सरकार से ब्लड बैंक की स्वीकृति ना मिलने से धूल फांक रहा है। इसके अलावा सरकारी अस्पताल का ये भवन खण्डहर में तब्दील होता जा रहा है।  सीमान्त क्षेत्र के मरीजो को जंहा ब्लड की आवश्यकता पड़ने पर खासी मशक्कत उठानी पड़ती है तो वहीं पर्वतीय क्षेत्र से आने वाले मरीजों को ब्लड की आवश्यकता पड़ने पर मजबूरन उत्तर प्रदेश के अस्पतालों का रुख करना पड़ता है। स्थानीय लोगों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर जल्द खटीमा के अस्पताल में ब्लड बैंक नहीं खोला गया तो वो इसके खिलाफ आंदोलन करने को मजबूर हो जाएंगे। वहीं नागरिक चिकित्सालय की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुनीता रतूड़ी ने मामले की सफाई देते हुए बताया कि सरकार से बजट ना मिलने की वजह से ब्लड बैंक अभी तक नहीं खुल पाया है। साथ ही उन्होंने कहा कि जल्द ब्लड बैंक खोले जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन द्वारा विभाग को पत्राचार भी भेजा गया है।

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