बद्री-केदारनाथ को छोड़, गंगोत्री-यमुनोत्री की हवाई यात्रा पर रोक

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देहरादून: प्रदेश में विवादित हेली सेवाओं के साथ एक और विवाद जुड़ गया है। डीजीसीए के ज्वांइट डायरेक्टर के नेतृत्व में निरीक्षण करने पहुंची टीम चारों धामों के हेलीपैडों का निरीक्षण भले ही पूरा न कर पाई हो, लेकिन टीम ने चारों धामों के दर्शन कर वापस दिल्ली जरूर पहुंच गए। 4-5 दिनों तक प्रदेश में रहने के बावजूद राज्य सरकार और यूकाडा को रिपोर्ट नहीं दी, बल्कि दिल्ली पहुंचने के बाद केदारनाथ को छोड़ तीन धामों की हवाई सेवा पर रोक का फरमान जारी कर दिया। सवाल चारधाम दर्शन का नहीं, बल्कि निरीक्षण के लिए आई टीम जिन निजी आॅपरेटरों के हेलीकाॅप्टरों में निरीक्षण के लिए पहुंची थी, उससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि निरीक्षण किस तरह हुआ होगा। दूसरा बड़ा सवाल यह है की डीजीसीए ने सरकारी हेलिपैड का निरिक्षण कर तो लिया है, लेकिन खुद यूकड़ा को इस बात की पूरी जानकारी नहीं थी, जिसको यूकाडा भी स्वीकार रहा है। इससे इस बात को भी बल मिलता है की डीजीसीए का फोकस भी सरकार की तरह ही केवल निजी ऑपरेटरों पर ही है। परिणामस्वरूप केदरनाथ, बद्रीनाथ को छोड़ दो धामों गंगोत्री और यमुनोत्री की हेली सर्विस पर डीजीसीए के नियमों मानक पूरे न होने पर आज से फिलहाल हवाई सेवा पर रोक लगा दी है। रोक तब तक जारी रहेगी, जबतक मानक पूरे नहीं हो जाते।

जानकारी के अनुसार डीजीसीए की टीम 27 अप्रैल को सबसे पहले यमुनोत्री धाम के एक मात्र हेलीपैडी खरसाली गांव पहुंची। टीम ने निरीक्षण के दिन ही धाम के दर्शन भी किए। इसके अगले दिन टीम गंगोत्री धाम पहुंची। यहां भी हेलीपैड पर हेलीकाॅप्टर उतारने के बाद टीम सीधे गंगोत्री दर्शन के लिए मंदिर जा पहुंची। केदारनाथा धाम में भी यही हुआ। जिस दिन बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले, उस दिन भी डीजीसीए की टीम ने अपने प्लान के अनुसार बद्रीनाथ धाम के दर्शन किए और दर्शन के बाद टीम दोपहर में टीम अपने पसंदीदा निजी ऑपरेटर के हेलीकॉप्टर से वापस हरिद्वार लौट आई, जहां टीम नेएक निजी हेलिपैड का निरक्षण किया और फिर दिल्ली रवाना हो गई। टीम 26-27 अप्रैल तब तक यहीं रही, जब तक चारों धामों के दर्शन नहीं हो गए।

4-5 दिनों तक प्रदेश के पहले के बावजूद टीम ने सरकारी हेलिपड्स का पूरा निरीक्षक नहीं किया और राज्य सरकार को इन सरकारी हैलिपैड्स की कमियां नहीं बताई। जिससे सरकार उनको समय रहते ठीक करती और चारधाम यात्रा सेवा भी बाधित नहीं होती। अब देखना यह होगा कि तेजी पकड़ी चुकी चारधाम यात्रा की वहाई सेवा को राज्य सरकार कितनी जल्दी दुरुस्त कर पाती है?

यह कैसा आॅडिट

सवाल यह नहीं है कि टीम ने चारधाम के दर्शन किए। सवाल यह है कि निजी हेली आॅपरेटर के हेलीकाॅप्टर में आकर उन्हीं के हेलीपैड पर उसे उतारा जा रहा है। इससे एक बात तो साफ है कि जिस आॅपरेटर के हेलीकाॅप्टर में टीम उड़ान भर रही है। उसके हेलीपैड को तो हरी झंडी मिल ही जाएगी। फिर इस आॅडिट के क्या मायने हैं? इसको लेकर डीजीसीए को जवाब तो देना ही होगा? यह देखने वाले बात होगी कि डीजीसीए के उच्चाधिकारी इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं।

हैलो उत्तराखंड न्यूज से बात करते हुए यूकाडा सीईओ ओमप्रकाश का कहना था कि, उनको सरकारी हेलीपैड के निरिक्षण की रिपोर्ट की पूरी जानकारी नहीं है।  

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