साहित्यकारों की पीडा….

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रुद्रप्रयाग: पृथक राज्य बनने के बाद भी उत्तराखण्ड में उपेक्षा का दंश झेल रहे प्रख्यात कवि चन्द्रकुवर बर्तवाल के स्मृति समान समारोह में आज साहित्यकारों की पीडा साफ दिखी।  स्मृति सम्मान समारोह में कार्यक्रम तो कई हुए मगर साहित्यकारों ने बर्तवाल की सरकारी स्तर पर हो रही उपेक्षा पर कडी नाराजगी जाहिर की।

साहित्यकारों की इस नाराजगी पर जिले के मुख्य विकास अधिकारी डा0डीआर जोशी का कहना है कि सरकार की और से जो भी कार्यक्रम जारी होंगे उसका पूरा पालन होगा साथ ही स्थानीय स्तर पर होने वाले कार्यक्रमों में प्रशासन की पूरी भूमिका रहेगी।

छायावाद, प्रगतिवाद व रहस्यवाद के महान कवि रहे चन्द्रकुवर को आज अपने ही प्रदेश में उपेक्षा का सामना करना रहा है।

महज 26 साल की उम्र में हिन्दी साहित्य को कालजयी रचनाए देने वाले ऐसे रचनाकार को महज स्थानीय स्तर पर औपचारिकताओं के तौर पर ही जिवंत रखा जा रहा है, ऐसे में अभी तक की सरकारों पर भी सवाल उठना लाजमी है कि क्या रचनाकार ऐसे ही औपचारिक्ताओं में जिंदा रहेंगे?

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