घोटालायुक्त प्रदेश में कैसे लगे भ्रष्टाचार पर अंकुश?

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पूर्णिमा मिश्रा, देहरादूनः प्रदेश ने भले ही कुछ नाम कमाया हो या नहीं, लेकिन प्रदेश का नाम कई बार भ्रष्टाचार के मामलों में उछला ही है। आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो प्रदेश भर में भाजपा और कांग्रेस पर सैकड़ों से उपर मामले दर्ज हैं।

भले ही यह कहना अभी गलत होगा कि आंकड़ें सही हैं या गलत। लेकिन यह तो सभी जानते हैं कि जब से लेकर प्रदेश अपने अस्तित्व में आया है तब से लेकर ये दोनों ही पार्टियां बारी-बारी कर सत्ता में आई हैं। जिससे यह कहना गलत नहीं होगा कि इन दोनों की राजनीतिक पार्टियों ने उत्तराखंड में तमाम भ्रष्टाचारों को अंजाम दिया है।

भाजपा जहां कांग्रेस पर तो कांग्रेस भाजपा पर भ्रष्ट सरकार होने का आरोप लगाती आई है। हालांकि यह हम सभी जानते हैं कि मात्र दिखावे तक ही दोनों पार्टियां एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करती हैं। वरना यह तो सभी को पता है कि दोनों पार्टियों में चोली-दामन का साथ है।

राज्य के बनने से लेकर अब तक भष्ट्राचार के आंकड़े

उत्तराखंड क्रांति दल के केन्द्रीय अध्यक्ष दिवाकर भट्ट का कहना है कि बीजेपी और कांग्रेस ने उत्तराखंड को इतना लूट लिया है कि इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश भर में से 3 हज़ार स्कूल बंद करने पड रहे हैं। इतना ही नहीं प्रदेश में आज माफियाओं का राज है, दोनों ही सरकारों ने बारी-बारी से प्रदेश को लूटने का ही काम किया है।

वहीं एडीजी राम सिंह मीना बताते हैं कि भष्ट्राचार पर अंकुश लगाने के लिए लोगों को और अधिकारियों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। भष्ट्राचार पर अंकुश लगाने के लिए एक टोल फ्री नम्बर 1800180666 जारी किया गया है। हालाँकि जब उनसे पूछा गया कि प्रदेश भर में घोटाले और भ्रष्टाचार के तमाम मुद्दे सामने आये हैं तो क्या इसी लिए यह अभियान चलाया जा रहा है  तो उन्होंने जवाब दिया कि नहीं विजिलेंस की टीम हमेशा की ही तरह इस बार भी प्रतिवर्ष की भांति एक अभियान चला रही है। जिसकी शुरूआत आज से कर दी गई है। जो आगामी 3 नवम्बर तक चलेगा।

लेकिन सबसे बड़े आश्चर्य की बात तो यह है कि भष्ट्राचार पर अंकुश लगाने के लिए लोगों को और अधिकारियों को जागरूक करने के लिए तो अभियान चलाया जा रहा है लेकिन उसका असर कहीं देखने को नहीं मिल रहा है

हर जगहों पर हमें भष्ट्राचार उन्मुक्त कार्यालय व तमाम तरह के आयोग तो देखने को मिलते हैं, लेकिन कार्यवाही के नाम पर सब जीरो ही नजर आता है।

आज तक तमाम तरह के आयोग तो बने, उन पर खूब पैसा भी खर्च हुआ लेकिन दुर्भाग्य तो देखिए एक भी आरोप सिद्ध न हो पाया? जिसका कारण सबके पास होते हुए भी किसी के पास नहीं ।

यदि वाकई में जांच के लिए बनाई गई टीमों द्वारा रिजल्ट आता तो आज प्रदेश में इतने बड़े स्तर पर घोटाले नजर नहीं आते।

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