एक ओर पैरों तले नियम, दूसरी ओर नींद में प्रसाशन …

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देहरादून के सचिवालय में नियम को ताक पर रखकर प्रवेश करने के मामले को हैलो उत्तराखंड ने 29 जुलाई 2017 को प्रमुखता से उठाया था। मामला था सचिवालय के एंट्री पास का…

सचिवालय में प्रवेश करने के लिए पास बनवाया जाता है, पास में अपना नाम लिखने के बजाये पिटकुल के चीफ इंजिनियर अनिल यादव ने अपने ही विभाग के जूनियर अधिकारी अजय अग्रवाल का नाम लिख दिया था और अपनी पहचान गोपनीय रखी। जो सरासर गैरकानूनी है।

इसी गैरकानूनी कृत्य को लेकर होने वाली करवाई की जानकारी जब हैलो उत्तराखंड ने सचिवालय प्रशासन की बाग-डोर सँभालने वाले आनंद वर्धन से करी तो उन्होंने कहा की मामला उनके संज्ञान में है ही नही। उनके, ऐसा कहते ही हैलो उत्तराखंड ने हर्ष वर्धन को पूरा मामला समझाया, मामला समझने के बाद आनंद वर्धन बोले, मामला अब मेरे संज्ञान में आ गया है और जल्द ही इसपर उचित कारवाई की जाएगी।

उचित कारवाही करने का आश्वासन देने के साथ ही आनंद वर्धन ने ये भी कह डाला की मामले के बारे में पूछने के लिए दुबारा कॉल करने की आवश्यकता नही है बस आप निश्चिंत हो जाये कारवाही हो जाएगी।

सचिवालय की सुरक्षा पर चूक होना ही खतरे की घंटी है और चुक होने के बाद भी प्रसाशन के आधिकारी को इसकी कोई भनक नही है ये तो सचिवालय की सुरक्षा के लिए और भी घातक है… क्या सही में मामले की जानकारी मुख्य सचिव आनंद वर्धन को नही थी? क्या सचिवालय की सुरक्षा में हमेशा इतनी ही कोताही बरती जाती है?

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