उत्तराखंड में विपक्ष की भूमिका में केवल एक सख्स? विपक्ष के पास नहीं सत्ता की आलोचना की इच्छाशक्ति!

Please Share

देहरादून: भारत जैसे सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश में राजनीति में विपक्ष के विचार का न होना सत्ता के निरंकुश हो जाने का संकेत माना जा सकता है। भले ही विपक्ष की संख्या कम हो, लेकिन अगर उसके विचार मजबूत हों, तो वह जनता को सत्ता की कार्यवाहियों के प्रति सतर्क करता है। लेकिन केंद्र के आलावा उत्तराखंड भाजपा ने जिस तरह जनता को अपने पक्ष में किया है, उससे क्या यह लगता है कि विपक्ष के पास अपना कोई सशक्त विचार नहीं रह गया है, जिसकी बदौलत वह सत्ता की आलोचना कर सके? साथ ही यह भी एक सवाल उठता है कि, सत्ता पक्ष के ताकतवर होने से विपक्ष का विचार क्या खत्म हो जाता है? क्या सत्ता पक्ष में ही जनता के सभी मुद्दे निहित होते हैं?

उत्तराखंड की बात करें तो विधानसभा चुनाव-2017 में कुल 70 सीटों में से भाजपा के पास 57 सीटें और कांग्रेस को 11 सीटें मिली, जबकि 2 सीटें निर्दलीय को मिली। हालाँकि राज्य निर्माण के बाद से ही उत्तराखंड में बारी-बारी अलग-अलग पार्टियों को जनता ने मौका दिया। लेकिन इस बार विपक्ष सबसे कमजोर स्थिति में नजर आया, यह संख्याबल ही नहीं वरन विपक्ष की तमाम जिम्मेदारियों के वहन करने में भी कमजोर साबित हुआ है। प्रदेश में कई बार ऐसे मौके आए जब सत्ता पक्ष के तमाम मामलों को विपक्ष भुना नहीं पाया या यूं कहें अपनी जिम्मेदारियों को निभा न सका। कुछ मामलों में विपक्ष ने आवाज भी उठाई तो दबे-दबे स्वरों में। अधिकतर समय विपक्ष अपने आंतरिक मामलों में ही उलझा रहा और कई बार ये अंतर्कलह खुलकर सामने भी आई। विपक्ष सत्ता पक्ष से ज्यादा सवाल अपने ही पार्टी नेताओं पर उठाती दिखी, वो भी व्यक्तिगत या राजनितिक। हालाँकि हाल के दिनों में विपक्ष एकजुट का दावा कर रहा है और कुछ मामलों पर यह एकजुटता दिखी भी हो, लेकिन प्रदेश के विभिन्न मुद्दों पर अब भी वो सत्ता पक्ष से सशक्त तरह से आलोचना नहीं कर सके हैं।

वहीँ सदन के बाहर से ही जनसंघर्ष मोर्चा के माध्यम से मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी अकेले ही विपक्ष की भूमिका निभाते आये हैं। प्रदेश के हर एक जनहित के मुद्दे पर वो सत्ता से बेबाक सवाल पूछते हैं। रघुनाथ नेगी ने प्रदेश के हर एक मूलभूत सुविधाओं, अपराधों, कर्मचारियों की समस्याओं, आम लोगों की समस्याओं, न्यायालय के आदेशों की अवहेलना समेत हर एक मामले पर सत्ता पक्ष से डंके की चोट पर सवाल पूछे।

You May Also Like