उत्तराखंड में धूमधाम से मना नंदादेवी/पाती त्योहार

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चमोली: उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता। यहाँ के विभिन्न पौराणिक धार्मिक स्थल व त्यौहार यहाँ की विशेषता को बयां करते हैं। देवभूमि का धार्मिक महत्व के साथ ही यहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य भी विश्वभर से लोगों को आकर्षित करता है। यहाँ के वासी भी इस प्रकृतिक सौन्दर्य को संजोए रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते रहे हैं। यहाँ तक कि, यहाँ के विभिन्न त्यौहारों का देवीय के साथ-साथ प्रकृति से भी किसी न किसी रूप में सम्बन्ध है। कई त्यौहारों में से प्रकृति से जुड़ा त्यौहार “पाती” भी है। पाती त्यौहार शुक्रवार को प्रदेश भर में धूमधाम से मनाया गया। लोगों की खुशहाली को लेकर पाती पूजन का त्योहार संपन्न हुआ।

विशेष रूप से भादो माह में आयोजित होने वाले पाती त्‍योहार के लिए सामूहिक रूप से अनाज, झंगोरा, कौंणी, छामरा, सुगंधित कुणजा घास की लंबी पत्तियों को लाया गया। गांव में सार्वजनिक स्थानों में पत्तियों को इक्कठा कर एक गठरी बनाई गई, जिसे माँ नंदा देवी के रूप में पूजा गया।

इस दौरान भादो माह में तैयार नई फसलों धान के चूड़े, कौणी के बुकणें व ककड़ी, अखरोट, सेब, केला, मक्की आदि को सामूहिक रूप से पाती पूजा में चढ़ाया गया। फिर घास की बंधी हुई चोटी वाले हिस्से को खोल कर सभी की खुशहाली की कामना की गई। साथ ही इस दौरान वाद्य यंत्रों की ताल पर देवी भी अवतरीत की गई। साथ ही इस दौरान गाँव की महिलाओं द्वारा गाये गए माँ नंदा के सामूहिक पौराणिक गीत भी आकर्षण का केंद्र बने। पलायन के बीच ग्रामीणों के इस तरह के आयोजन हमारी संस्कृति के लिए एक सुखद एहसास कहा जा सकता है।

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