UCADA ड़ाल रहा राज्य सरकार पर करोड़ों का बोझ

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मंयक ध्यानी की रिपोर्ट

नागरिक उड्डन विभाग से 2013 में अलग हो स्वतंत्र निकाय के तौर पर नागरिक उड्डन विकास प्राधिकरण बनाया गया। उम्मीद थी कि स्वतंत्र प्राधिकरण बना देने से नागरिक उड्डन का भी विकास होगा औऱ सरकार को उससे जो राजस्व प्राप्त होगा उससे सरकार को भी।

पिछले तीन सालों में नागरिक उड्डन विकास प्राधिकरण के विकास का तो पता नहीं लेकिन सरकार लगातार घाटा ही उठा रही है।  दरअसल, जब 2013 में इसे अलग किया गया था तो माना जा रहा था कि अगले छ महिने से एक साल के बाद प्राधिकरण राज्य सरकार को राजस्व देने लगेगा मगर हालात देखिए कि पिछले तीन सालों से राज्य सरकार ही करोड़ों रुपये देकर इसका खर्च उठा रही है।

आइये अब आपको बताते है कि विभाग हर साल इस स्वतंत्र निकाय प्राधिकरण पर कितना खर्च कर रहा है……

2013-14 –  लगभग 19 से 20 करोड़

2014–15 –  लगभग 14 से 15 करोड़

2015-16 –  लगभग 24 से 25 करोड़

2016–17 –  लगभग 30 करोड़

अब सवाल उठता है कि जब हर साल करोडों रुपये प्राधिकरण को विभाग द्वारा दिया जाना था तो फिर नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण को स्वत्रंत निकाय बनाया ही क्यों ?

सरकार को राजस्व देना तो दूर प्राधिकरण खुद का खर्च भी नहीं उठा पा रहा है, तो फिर ऐसे में हर साल करोड़ो रुपये खर्च करने का औचित्य क्या है ये बात समझ से परे है।

हैलो उत्तराखंड चाहता है कि नागरिक उड्डन विभाग जो कि वर्तमान में मुख्यमंत्री के अधीन है जल्द से जल्द इस ओर ध्यान दे। ताकि सरकार पर बढ़ रहे आर्थिक बोझ से सरकार को राहत मिल सके।

साथ ही साथ ऐसे जितने भी स्वतंत्र निकाय सालों बाद भी राज्य सरकार पर बोझ बने हुए है, उनकी भी जांच कर उचित कार्यवाही की जाए।

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