उत्तराखंड: शिक्षक बनने के लिए बीएड व ग्रेजुएशन में यह बाध्यता खत्म

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नैनीताल: उत्तराखंड में सहायक शिक्षक बनने की चाह रखने वालों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद के लिए बीएड सहित ग्रेज्युएशन में 50 प्रतिशत अंकों की बाध्यता को समाप्त कर दिया है। अदालत के इस फैसले से प्रदेश के बड़ी तादाद में प्रशिक्षित बेरोजगारों को प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए आवेदन करने का मौका मिल जाएगा। न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई की।
मामले के अनुसार, नीतू पाठक और अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद के लिए बीएड और ग्रेज्युएशन में 50 प्रतिशत अंकों की बाध्यता को चुनौती दी थी। इसे न्यायालयों के पिछले फैसलों के प्रतिकूल बताते हुए प्रदेश में इस प्रकार के प्रावधान को खत्म करने के निर्देश जारी करने का अनुरोध किया था।
कोर्ट के सामने यह तथ्य लाया गया कि, नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक बनने के लिए बीएड में 50 प्रतिशत अंकों की बाध्यता रखी थी, हालांकि एक मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसमें छूट दे दी थी। प्रदेश में मार्च 2019 में सहायक अध्यापक के पदों की भर्ती प्रक्रिया में 50 प्रतिशत अंकों की बाध्यता का नियम लागू कर दिया गया। एकलपीठ ने इस मामले में दायर याचिकाओं में सुनवाई के बाद 50 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के बलदेव सिंह बनाम राज्य सरकार के फैसले को आधार बनाते हुए यह फैसला दिया है।

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