सरकार के खिलाफ फूटा चारधाम सडक परियोजना प्रभावितों का गुस्सा

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रुद्रप्रयाग: चारधाम सडक परियोजना से प्रभावित भवन स्वामियों व व्यापारियों का सरकार के खिलाफ गुस्सा शुक्रवार को जिला मुख्यालय पर फूटा। चारधाम परियोजना संघर्ष समिति के आहवान पर आज जनपद बन्द पूरी तरह से सफल रहा जिले के सभी बाजारों में चाय तक भी पीने को नहीं मिली यह पहला मौका था कि जब प्रभावितों की पीडा को पूरे जिलेभर के व्यापारियों ने समझा और अपने प्रतिष्ठानों को पूरी तरह से बन्द रखा।
संघर्ष समिति के बैनर तले पूरे जनपद के व्यापार संघों के साथ ही प्रदेश का मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भी प्रभावितों के पक्ष में खुलकर सडकों पर उतरा। जिला मुख्यालय के हनुमान मंदिर चैक से जनाक्रोश रैली निकालते हुए मुख्य बाजार में जनसभा का आयोजन किया गया। सभा में कहा गया कि व्यापारी सडक निर्माण का विरोध नहीं कर रहे हैं मगर सरकार को चाहिए कि वर्षों से अपने व्यवशाय को संचालित करते हुए आ रहे व्यापारियों को व्यवसाय से महरुम किया जा रहा है तो पीडियों से अपने भवानों में रह रहे लोगों को बिना मुआवजा दिये उन्हें बेदखल किया जा रहा है। यही नहीं जिले से होकर गुजरने वाले राष्ट्ीय राजमार्ग 58 व 107 पर बसे छोटे बडे बाजारों के अस्तित्व को पूरी तरह से समाप्त करने पर सरकार आमादा हो रखी है। खांकरा कस्बे में अनावश्यक रुप से तीन पुलों के जरिये पूरे बाजार को समाप्त किया जा रहा है जब्कि दो पुलों के जरिये खांकरा को बचाया जा सकता है और इसमें सरकार करोडों रुपये का लाभ भी मिलेगा। कहा गया कि एक तरफ तो पहाडी क्षेत्रों में भूमि की कमी है ऐसे में राष्ट्रीय राजमार्ग से जुडे लोगों को अपनी निजि जमीनों पर भवन निर्माण में प्राधीकरण के अनापत्ति प्रमाण पत्र की वाध्यता को समाप्त किया जाय। साथ ही प्रभावित भवन स्वामियों व व्यापारियों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देते हुए उनके पुर्नवास की व्यवस्था की जाय।
प्रभावितों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब रुद्रप्रयाग शहर को बचाने के लिए पूर्व में बद्रीनाथ केदारनाथ बाईपास परियोजना को शुरु किया गया था और केदारनाथ बाईपास परियोजना का कार्य पूरा होने के बाद आखिर क्यूं बद्रीनाथ बाईपास परियोजना पर कार्य शुरु नहीं किया जा रहा है।
लम्बे समय से जिले के चारधाम सडक से प्रभावित भवन स्वामी व व्यापारी ज्ञापनों के जरिये अपनी बात को सरकार व प्रशासन के सामने रखते हुए आ रहे थे मगर जिस तरह से प्रभावितों का गुस्सा आज सडकों पर पूटा और प्रभावितों ने साफ शब्दों में कहा कि सरकार ने उनकी मांगों को अनदेखा किया तो परिणाम गम्भीर होंगे। इससे साफ है कि आने वाले दिनों में कही ये आग अन्य जनपदों में भी ना फैले और फिर इसे बुझाना कहीं सरकार को भारी न पड जाय, क्योंकि लोक सभा के चुनाव सामने हैं और निकाय चुनावों में निर्दलीयों का जीतना सरकार की पहले ही किरकिरी करवा चुकी है।

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