मसूरी का नवनिर्मित घंटाघर लोकार्पण से पहले विवादों में

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मसूरी : नगर पालिका परिषद ने कई लाखों रुपए खर्च कर बनाया गया मसूरी का घंटाघर लोकार्पण से पहले विवादों की भेट चढता नजर आ रहा है। मसूरी में उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद मसूरी नगर पालिका परिषद द्वारा पूर्व में स्थापित घंटाघर के स्थान पर नये घंटाघर का निर्माण करवाया गया है। घंटाघर के चारों ओर नई तकनीक से बनाई गई विशाल घडियों को लगाया गया,  जिसको अभी कुछ ही समय हुआ है। इन दिनों हर घंटे में मसूरी का घंटाघर की इलेक्ट्रोनिक घंटा भी बज रहा था परन्तु घटिया गुणवक्ता के कारण हाल में लगी घडी खराब हो गई है व घंटाघर के चारों ओर लगी घडिया अलग-अलग समय दे रही है वह घंटा बजने के समय घडी में समय कुछ और चल रहा है जिस कारण नवनिर्मित घंटाघर के निर्माण के समय बरती गई लापरवाही साफ तौर पर उभर कर लोगों के सामने आ रही है। वहीँ लोगों ने एक बार फिर नगर पालिका परिषद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर समय-समय पर घंटाघर के निर्माण की गुणवत्ता की जांच की जाती तो आज यह स्थिति पैदा न होती। वही पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल ने बताया कि कुछ तकनीकि खराबी के कारण घंटाघर में लगी घडियों गलत समय बता रही है जिसको जल्द ठीक करवा लिया जायेगा।
मसूरी के इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने बताया कि मसूरी अंग्रेजो के द्वारा बसाई गई थी और उनके द्वारा 1890 में मसूरी के मेथोडित चर्च पर लगाई गई थी परन्तु 1905 में आये भुकंप में वह घ्वस्त हो गया था जिसके बाद मसूरी के लंढौर क्षेत्र में घंटाघर का निर्माण 1939 में किया गया था और अष्टधातु से बने घंटे के साथ घड़ी लंदन से मंगाकर लगवाई गई थी वह घंटाघर अपने आप में अदभूत था परन्तु कुछ समय पहले पालिका प्रशासन द्वारा उसको तोड दिया था जिसके बाद वह विवादों में पड गया। अब हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद वर्तमान पालिका प्रशासन ने घंटाघर का निर्माण करवाया जिसमें इलेक्ट्रौनिक घडिया लगवाई गई है। उन्होने बताया  कि पूर्व कि घडिया अपने आप में एतिहासिक थी और वह कहा गई, व नगर पालिका प्रशासन को ही पता होगा।
मसूरी के स्थानीय लोग रजत अग्रवाल, ललित मोहन काला, सतीष ढौडियाल, रविन्द्र गोयल ने कहा कि नवनिर्मित घंटाघर की घडिया का बंद हो जाना दुर्भाग्यपूर्ण है और नगर पालिका परिषद की कार्यप्रणाली भी दर्शाती है। उन्होंने कहा कि नगर पालिका परिषद में व्याप्त भ्रष्टाचार का मसूरी का घंटाघर जीता जागता उदाहरण है। ऐसे में नगर पालिका परिषद के अधिकारियों और घंटाघर बनाने वाले ठेकेदार के खिलाफ जांच बैठनी चाहिये और आरोप सिद्ध होने पर उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिये।

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