केदारनाथ आपदा डॉक्युमैंट्री मामला: केवल 12 करोड़ ही नहीं, टेलीकास्टिंग में भी खर्च होगा बिग अमाउंट

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केदारनाथ आपदा के बाद उत्तराखंड चारधाम यात्रा को सुगम और सुरक्षित दर्शाने पर बनी डॉक्युमैंट्री फिल्म का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।

केदारनाथ आपदा पर गाना गाने और उस भयावह स्थिति के बाद की सुगमता को दिखाते हुए जिस डॉक्युमैंट्री को प्रख्यात गायक कैलाश खेर ने बनाया उस पर 12 करोड़ रूपए उत्तराखंड सरकार पहले ही दुरुप्रयोग कर चुकी है। लेकिन कांग्रेस सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम के पुरजोर विरोध करने वाली विपक्षी पार्टी भाजपा भी (जो अब सत्तासीन है) आगे जारी रखने जा रही है।

दरअसल आपदा के बाद की स्थिति को बताने वाली डॉक्युमैंट्री तमाम विरोधों के बाद बन तो गई, जिसके लिए कैलाश खेर को अच्छी खासी रकम भी अदा की गई लेकिन अभी भी  यह मामला थमेगा नहीं। क्यूंकि अभी तो केवल डॉक्युमैंट्री ही बनी है जिसके लिए 12 करोड़ रूपए उत्तराखंड सरकार चुका चुकी है। लेकिन इसके बाद की प्रक्रिया में भी उत्तराखंड सरकार काफी बड़ी रकम चुकाने जा रही है। अभी डॉक्युमैंट्री की टेलिकास्टिंग होना बाकी है। जिसके लिए प्रक्रिया जारी है। हालाँकि इसमें कितना खर्चा आएगा इसका खुलासा नहीं हुआ है। हम आपको बता दें कि टेलिकास्टिंग के लिए भी अच्छा खासा पैंसा लगता है। लेकिन बस फर्क इतना सा है कि इसका खर्चा अब सूचना विभाग चुकाएगा।

हेलो उत्तराखंड से बात करते हुए बदरी-केदार मंदिर समिति के एग्जिक्युटिव ऑफिसर अनिल शर्मा ने बताया कि साल दर साल पुनः श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा हो रहा है। उन्होंने बताया कि 2016 में श्रद्धालुओं की संख्या 3 लाख रही जबकि 2017 में यह संख्या 4 लाख पहुंच चुकी है। जो की अभी जारी है जिससे यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।

सोचने वाली बात यह है कि यह जो भी खर्चा किया जा रहा है उसका मकसद केदारनाथ को सुरक्षित और विकसित दिखाना है जिससे पर्यटकों को बढ़ावा मिलेगा लेकिन जब खुद ही श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा हो रहा है तो फिर क्यूँ इतना पैसा बर्बाद किया जा रहा है, यदि यह डॉक्युमैंट्री आपदा के एक साल बाद के समय अंतराल में आती तो शायद यह इतनी प्रभावशील होती लेकिन आपदा के इतने साल बाद तो खुद ही श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा हुआ है।

गौरतलब है कि जो इसका सबसे पुरजोर विरोध कर रही थी आज वही इसको बढ़ावा दे रही है और बकाया धन राशि भी अदा कर रही है। क्या ऐसा करना अब बीजेपी की मजबूरी है? भले ही अब इसका पूरा खर्चा सूचना विभाग उठा रहा है लेकिन जितना पैंसा एक डॉक्युमैंट्री के लिए चुकाया गया, उतना पैसा अगर उन आपदा पीड़ितों को दिया जाता तो शायद दुआओं से उत्तराखंड की तस्वीर कुछ और ही होती।

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