कैसे और क्या पढ़ेंगे बच्चे, ना फर्नीचर ना किताबें

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देहरादून: वैसे तो पूरे प्रदेश में ही सरकारी स्कूलों का हाल बुरा है, लेकिन राजधानी देहरादून में भी बच्चों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। शिक्षा मंत्री को इस बात से तो फर्क पड़ता है कि गुरुजी स्कूल में क्या पहन कर आ रहे हैं, लेकिन इस बात से फर्क नहीं पड़ता की स्कूल में बच्चों के पास पर्याप्त संसाधान हैं या नहीं। आलम यह है कि स्कूलों में बच्चों के पास बैठने के लिए फर्नीचर तक उपलब्ध नहीं हैं। अब तक किताबें भी नहीं मिल पाई हैं।

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे हर दिन कुछ ना कुछ बयान देते हैं। वो जब भी बयान देते हैं, खुद की तारीफ करना कभी नहीं भूलते। वो दावे तो शैक्षित स्तर में सुधार के करते हैं, लेकिन उनके दावे हवाई साबित होते हैं। राजकीय प्राथमिक विद्यालय पित्थूवाला में 144 से अधिक विद्यार्थी हैं। एक ओर जहां सरकारी स्कूलों को छात्रों की संख्या कम होने के कारण बंद किया जा रहा है। वहीं, इस स्कूल में छात्रों की संख्या काफी है। बावजूद इसके स्कूल में फर्नीचर तक नहीं हैं।

स्कूल की प्रधानाचार्य भी फर्नीचर उपलब्ध कराने की मांग कर चुकी हैं। फिर भी शिक्षा विभाग ने फर्नीचर उपलब्ध कराने की जहमत नहीं उठाई। और तो और विद्यार्थियों को सर्दियों में बाहर धूप में बिठाया जाता है। दरी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण उनको जमीन पर ही बैठना पड़ता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चे कड़ाके की ठंड में कैसे पढ़ाई करते होंगे। बाल आयोग की सदस्य सीमा डोरा ने स्कूल का निरीक्षण किया। उनका कहना है कि स्कूलों में बुरा हाल है। पहले भी कुछ स्कूलों का निरीक्षण कर चुकी हैं। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

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