जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के लिए अमित शाह ने लोकसभा में किया प्रस्ताव पेश, विपक्ष ने किया विरोध

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नई दिल्ली: गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में आज जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक 2019 पेश किया और राज्य में राष्ट्रपति शासन 6 महीने के लिए बढ़ाने का प्रस्ताव दिया। लोकसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि इस साल के अंत तक राज्य में चुनाव संभव है। गृह मंत्री ने कहा कि रमजान का पवित्र महीना था, अब अमरनाथ यात्रा होनी है, इस वजह से चुनाव कराने इस दौरान मुमकिन नहीं था। इस साल के अंत में चुनाव कराने का फैसला लिया गया। अमित शाह ने इंटरनेशनल बॉर्डर पर रहने वाले लोगों को भी आरक्षण देने का प्रस्ताव लोकसभा में रखा। उन्होंने कहा कि ये विधेयक किसी को खुश करने के लिए नहीं है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास रहने वालों के लिए है। इस मौके पर उन्होंने कहा है कि कश्मीर में उनकी सरकार में पिछले एक साल में जीरो टोलेरेंस की नीति अपनाई गई है। उन्होंने कहा कि राज्य में चुनाव होता था तो बड़े पैमाने पर हिंसा होती थी। लेकिन इस बार पंचायत चुनाव में किसी का खून नहीं बहा है। आतंकवाद की घटनाएं भी कम हुई हैं। गृहमंत्री ने कहा कि सुरक्षा कारणों से अभी राज्य में चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। लेकिन उम्मीद है कि अगले 6 महीने में आयोग वहां चुनाव कराएगा। शाह ने कहा कि वह सदन में रिकॉर्ड पर तत्कालीन गृहमंत्री और रक्षा मंत्री को धन्यवाद देना चाहता हूं।

उन्होंने कहा कि 15 हजार बंकर बनाने की जो समय सीमा राजनाथ सिंह ने जो तय की है बिना समय गंवाए इस इसका पालन किया जाएगा। 4400 बंकर तैयार कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा राज्य में जम्मू और लद्दाख की अनदेखी की गई है। गृह मंत्री ने कहा कि सरकारी ओर से जारी फंड को लाभार्थियों तक पहुंचाने काम सरकार सुनिश्चित करेगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने की कोशिश है। इसके साथ ही अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल को पेश किया है। कांग्रेस ने इसका समर्थन किया है, लेकिन राष्ट्रपति शासन की अवधि 6 महीने बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध किया है।

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