सीएम से मिल अनुराधा पौडवाल ने जताई उत्तराखण्ड के मन्दिरों को पर्यटन से जोडने में सहयोगी बनने की इच्छा

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देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से सोमवार को देर सांय मुख्यमंत्री आवास में भजन गायिका अनुराधा पौडवाल ने शिष्टाचार भेंट की। उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र से उत्तराखण्ड में देवभूमि के अनुरूप टेम्पल टूरिज्म को बढावा देने की अपेक्षा की तथा इस संबन्ध में अपना सहयोग देने का भी आश्वासन दिया।
पौडवाल का कहना था कि, गंगा आरती बद्रीनाथ, केदारनाथ, शिवाराधना, वैष्णों देवी जैसे धार्मिक स्थल उनकी भजन गायकी के केन्द्र में रहे हैं। उत्तराखण्ड व मां गंगा से विशेष लगाव होने के नाते उत्तराखण्ड के धार्मिक मन्दिरों को पर्यटन से जोडने में सहयोगी बनने की उनकी इच्छा है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने उनके सुझावों का स्वागत करते हुए कहा कि, उत्तराखण्ड के चारधामों के अतिरिक्त अन्य धार्मिक स्थलों व पौराणिक महत्व के मन्दिरों को देश व दुनिया के समक्ष लाने के लिये राज्य सरकार प्रयासरत है। केदारनाथ के पुनर्निर्माण के साथ ही बद्रीनाथ के सौन्दर्यीकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इन क्षेत्रों को हेली सेवा से जोडा गया है। शीघ्र ही गंगोत्री व यमुनोत्री को भी हेली सेवा से जोडने की कार्ययोजना बनायी जायेगी। तथा इन क्षेत्रों का भी सौन्दर्यीकरण किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, राज्य में पौराणिक महत्व के विभिन्न मंदिरों के संरक्षण के साथ ही पंचकेदार, पंचबद्री, रामायण व महाभारत काल से जुडे स्थलों व मंदिरों का भी विकास किया जायेगा। उन्होंने कहा कि, माता सीता ने जहां भूमि में समाधी ली थी तथा लक्ष्मण ने माता सीता को जहां पर विदा किया था ऐसे दो मंदिर सीताकोटी व बिदाकोटी मंदिर पौड़ी के सितोंस्यूं में है। यहां पर वाल्मिकी मंदिर भी है। ऐसे ही अन्य कई स्थानों पर अनेक मंदिर है जिनका अपना धार्मिक महत्व है। ऐसे स्थलों का भी विकास किया जा रहा है। ताकि प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को और अधिक बढावा मिल सके।
इस अवसर पर सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि, प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को और अधिक बढावा देने के लिये राज्य के पौराणिक महत्व के मंदिरों को पहचान दिलाने के लिये प्रभावी प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य के पंचकेदार, पंचबद्री के साथ ही अन्य मंदिरों की मैपिंग की जा रही है। बद्रीनाथ जी एवं भविष्य बद्री जी का मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य के अनछुए पर्यटक स्थलों के साथ ही पौराणिक मंदिरों को भी पहचान दिलाने की दिशा में कार्ययोजना तैयार की जा रही है।

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