प्रकृति के भयंकर पलटवार के लिए रहे तैयार …

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देश का अधिकांश हिस्सा बाढ़ का दंश झेल रहा है, जिसकी वजह अगर हम ध्यान से सोचे तो हम खुद ही है।

प्रकृति अगर आप के लिए वरदान साबित हो सकती है तो प्रकृति का दोहन आपके लिए अभिशाप भी बन सकता है। आज हमारे भारत देश का बिहार के 16 जिले बाढ़ से प्रभावित है जिसमे अब तक 119 लोग अपनी जान गवा बैठे है और लाखों लोग बाढ़ से प्रभावित है। ऐसे ही हाल असम के भी है, जहा बाढ़ की वजह से 15 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवा दी है।

नेपाल, सिक्किम और उत्तर-पूर्वी राज्यों में बारिश के बाद तीस्ता नदी का जलस्तर बढ़ता है जिसकी वजह से बांध से पानी को छोड़ दिया जाता है और पानी बाढ़ का रूप लेकर लोगों का काल बनकर सबके सामने आता हैं।

नेपाल में कई दिनों से मूसलाधार बारिश के चलते बिहार के सीमांचल इलाके में बाढ़ की स्थिति भयावह बनी हुई है। सीमांचल के इलाके सबसे अधिक प्रभावित हैं। बिहार में अररिया, मोतिहारी, किसनगंज, कटिहार और भागलुपर में बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित है। बिहार के 16 जिले 70 लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं। यूपी के 75 जिलों में से 15 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं।

बिहार, यूपी, असम, ओडिशा, बंगाल और गुजरात में बाढ़ का प्रकोप अपने चरम पर है। चारों ओर बाढ़ से हाहाकार मचा हुअा है।

बिहार में आई बाढ़ का कराण नेपाल में हो रही तेज बारिश है। वहीं नेपाल से निकलने वाली नदियां इस बार यूपी के कई जिलों के लिए भी अभिशाप बन गई है। नेपाल के चितवन जिले के सौराहा इलाके में मानसून की भारी बारिश की वजह से आई बाढ़ और भूस्खलन में लगभग 115 लोगों की मौत हो गई है। बाढ़ की वजह से नेपाल में करीब छह सौ पर्यटक फंसे हुए हैं, जिसमे 200 भारतीय शामिल है।

यूपी के गोंडा, बाराबंकी, गोरखपुर में कई नदियों का जलस्तर बढ़ गया हैं। बंगलुरु में भी तेज बारिश हुई जो कि पिछले 127 साल की सबसे अधिक बारिश हैं।

प्रकृति का इतना भयावह रूप आज से पहले शायद ही कभी किसी ने न देखा हो, अगर हम बेपरवाह ऐसे ही प्रकृति का दोहन करते रहे, नदी-नालों को संकरी बना उनके बहाव के रास्ते में बिल्डिंगों को खड़े करते रहेंगे, जंगलो को काट कर जानवरों को बेघर करते रहेंगे तो प्रकृति का संतुलन कैसे बरक़रार रहेगा, जब संतुलन बिगड़ेगा तो भयावह परिणाम भी सामने आयेंगे।

ऐसे में भूस्खलन, बाढ़, भूकंप, सूखे जैसी परिथितियां उत्पन्न होना तो लाजमी ही है। अगर ये दोहन वक़्त रहते नही रोका गया तो प्रकृति के विकराल रूप को झेलने के लिए हमें तैयार रहना चाहिए।

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