आंदोलनरित पत्रकारों की मांगे पूरी होने की पहल पर आमरण अनशन स्थगित

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देहरादूनः राजधानी में राज्य सरकार की दमनकारी नीतियों के विरूद्ध पिछले आठ दिन से जारी पत्रकारों का आंदोलन शुक्रवार दोपहर को सूचना विभाग अपर निदेशक  अनिल चंदोला के आश्वासन के बाद समाप्त हो  गया है। सरकार द्वारा पत्रकारों की 11 सूत्रीय मांगों को मान लिया गया है । बता दें कि शुक्रवार सुबह पत्रकारों ने सूचना विभाग में आमरण अनशन की शुरूआत कर सरकार और सूचना विभाग के विरुद्ध नारेबाजी की थी। जिसके बाद सूचना विभाग को पत्रकारों की एकता के आगे झूकना पड़ा। कुछ घंटे चले अनशन के बाद ही मांगे माने जाने के बाद अपर निदेशक सूचना डां अनील चंदोला ने संजीव पंत को जूस पिलाकर अनशन समाप्त कराया है।

बता दें कि उत्तराखंड सूचना एवं लोक संपर्क विभाग के संयुक्त निदेशक  डॉक्टर अनिल चंदोला ने ज्ञापन में लिखी एक एक मांग पत्रकारों के सामने पढ़कर सुनाते हुए प्रत्येक पर अपनी सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि इनमें से अधिकांश पर आज सुबह से ही कार्यवाही भी शुरू कर दी गई है। डॉ अनिल चंदोला ने सबसे पहले अमर शहीद श्रीदेव सुमन की जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि व्यक्त करने वाला विज्ञापन स्थानीय अखबारों को न दिए जाने पर खेद व्यक्त किया और इसे एक चूक मानते हुए इसकी प्रतिपूर्ति शीघ्र कराने का आश्वासन दिया। साथ ही आश्वस्त किया कि पत्रकारों के सम्मान से कोई समझौता नहीं किया जाएगा तथा पत्रकारों को विश्वास में लिए बिना नियमावली में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि न्यूज़ पोर्टल के एंपैनलमेंट की कार्यवाही तत्काल प्रभाव से शुरू कर दी गई है, तथा आज ही एंपैनलमेंट के लिए अखबारों में विज्ञापन दिए जा रहे हैं। साथ ही वेब पोर्टल के पत्रकारों को भी मान्यता की दायरे में लाने के लिए फाइल चला दी गई है। पत्रकारों के लंबित पेंशन प्रकरणों और कल्याण योजनाओं पर कार्यवाही शुरू कर दी गई है। डॉक्टर चंदोला ने सहमति व्यक्त की कि गूगल को  कोई ऐड नहीं दिए जाएंगे। केवल वेब पोर्टल को ही विज्ञापन जारी किए जाएंगे।उन्होंने कहा कि सभी मांगो पर कार्यवाही शुरू कर दी गई है तथा 1 महीने के अंदर अंदर सभी मांगें मूर्त रूप धारण कर लेगी। वहीं मांगे पूरी होने से पत्रकारों में खुशी की लहर है। उन्होंने कहा है कि यह सिर्फ एक की नहीं बल्की उन सब की जीत है। जो सरकार के दमनकारी रवैये से परेशानीयों का सामना कर रहे थे। सरकार अपनों की अनदेखी कर रही थी। हमने अपने हकों की लड़ाई लड़ी और हम जीत गए। पत्रकारों ने कहा कि सभी साथियों को जीत के लिए हार्दिक बधाई हमारी सभी मांगें मान ली गई है अभी तो ली अंगड़ाई है आगे और लड़ाई है ।

गौरतलब है कि बीते आठ दिनों से पत्रकार संगठन सरकार की दमनकारी नीतियों के विरुद्ध आंदोलनरित थे। इस बीच उन्होंने सीएम त्रिवेंद्र से वार्ता के साथ ही कई तरह से अपना विरोध जताया। संगठन ने धरने के साथ कभी सूचना विभाग में ताला लगाया तो, कभी सड़को पर एकजुट होकर मशाल जुलूस निकाला सरकार को अपनी ताकत दिखाई। सियासी गलयारों में पत्रकारों की एकता और आंदोलन  का असर दिखा। उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त संघर्ष समिति के धरने का एक बड़ा असर आंदोलन के छठे दिन ही दिखाई दे गया था जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जल्द ही प्रदेश के सभी स्थानीय समाचार पत्रों की मांग को मानने की बात कही थी। लेकिन संगठन की मांग थी की जबतक उन्हें लिखित आश्वासन नहीं मिल जाता वह आंदोलन समाप्त नहीं करेगे।साथ ही पत्रकार यह आश्वासन भी चाहते थे कि आगे से बिना पत्रकार संगठनों को विश्वास निधि नियमावली से कोई छेड़छाड़ न की जाए।

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