हरीश रावत सरकार में आचार संहिता से ठीक पहले दिए गए खनन लाइसेंस रद्द

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अपने ताबड़तोड़ फैसलों से एक बार फिर त्रिवेंद्र सिंह रावत सुर्खियों में आ गये है। हरीश रावत रावत सरकार में आचार संहिता से ठीक पहले नियम विरुद्ध दिए खनन पट्टे के लाइसेंसों को बीजेपी सरकार ने तत्काल प्रभाव से रद्द कर इसनी जांच के आदेश दे दिये हैं।

इन निलंबित लाइसेंसों के परीक्षण के लिए सचिव औद्योगिक विकास विभाग शैलेश बगौली की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है। इस समिति में मुख्य वन संरक्षक, मुख्यालय देहरादून और केंद्रीय मृदा एवं जल संरक्षण अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान देहरादून के विषय विशेषज्ञों को सदस्य के रूप में नामित किया गया है। इसके साथ ही यह समिति  30 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगी।

बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने गंगा नदी में खनन पर लगी रोक हटा दी थी। खबर थी कि शासन को ऐसी शिकायतें मिली थी कि पूर्ववर्ती सरकार ने विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से ठीक पहले नियमों को ताक पर रखने हुए स्टोन क्रशर, स्क्रीनिंग प्लांट व खनन पट्टे जारी किए थे।

इसका संज्ञान लेते हुए सरकार ने मुख्य सचिव एस रामास्वामी को इस संबंध में कार्यवाही के निर्देश दिए थे। अब शासन ने आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले जारी किए गए लाइसेंस को निलंबित करने के आदेश दिए हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि उस समय प्रदेश में कुल 40 स्टोन क्रशर, पांच स्क्रीनिंग प्लांट व तकरीबन 20 से अधिक खनन पट्टों के लाइसेंस जारी किए गए थे।

 शासन ने इस अवधि में जारी सभी लाइसेंसों का परीक्षण करने का निर्णय लेते हुए इसके लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। मुख्य सचिव एस रामास्वामी के निर्देश पर सचिव खनन शैलेश बगौली ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं। अब समिति को 30 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है।

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