विकास के लिए मिले पैसों की बंदरबांट…

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रीना चौधरी की रिपोर्ट…

रुद्रप्रयाग: ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के पैसे की कैसी बंदरबांट चल रही है, इसकी हकीकत देखनी है तो आज हम आपको ले चलते हैं अगस्त्यमुनि विकासखण्ड की दूरस्थ ग्राम पंचायत नागजगई। यहां पर ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान के खिलाफ गम्भीर आरोप लगाये हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रधान विकास योजनाओं में खुद ठेकेदार बने हैं और फर्जी कागजों के जरिये विकास के धन को मनमाने तरीके से वारा-न्यारा कर रहे हैं।

ग्राम पंचायत नागजगई के पूर्व जनप्रतिनिधियों के साथ ही ग्रामीणों का आरोप है कि मौजूदा ग्राम प्रधान विकास कार्यों में सरकारी धन को महज ठिकाने लगाने का कार्य कर रही हैं। और आवाज उठाने पर ग्रामीणों के विरुद्ध मामले तक दर्ज करा रही हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि सूचना अधिकार से प्राप्त दस्तावेजों से पता लगा हैं कि गांव में करीब तीन लाख रुपये की लागत से मिलन केन्द्र का पुर्ननिर्माण किया जाना था मगर प्रधान द्वारा मिलन केन्द्र के पुर्ननिमाण के वजाय उस पर हल्का फुल्का कार्य कर धन को हडप लिया है।

यही स्थिति सुरक्षा दीवारों, शौचालय निर्माण, सीसी व खडिंजा मार्ग निमार्ण में भी बनी हुई है। ग्रामीणों ने कई बार इसकी शिकायत प्रशासनिक अधिकारियो से भी की है मगर प्रधान की उंची पहुंच के आगे ग्रामीणों की आवाज को दबा कर रख दिया गया है।

अपने उपर लगे आरोपों पर मौजूदा ग्राम प्रधान विजयलक्ष्मी पंवार ने कहा कि में भी भ्रष्टाचार के खिलाफ हूँ इसलिए में खुद से ऐसा कोई काम नही करूंगी, जहा तक आरोपों की बात है तो लोगों का काम ही होता है आरोप लगाना जिससे मुझे मानसिक रूप से नुकसान पहुंचा है।

उधर जिलाधिकारी ने भी मामले का संज्ञान लिया है और अब ग्राम पंचायत के सभी कार्यों की निष्पक्ष जांच के लिए सीडीओ की अध्यक्षता में कमेटी का गठन कर दिया हैं जो गांव में जाकर स्वयं जांच करेगी और दोषी पाये जाने पर कार्यवाही की संस्तुति करेगी।

विकास कार्यों में हेराफेरी करना व सरकारी धन को डकारना आज कोई नई बात नहीं है मगर जिस तरह से विकास की पहली सीडी मानी जाने वाली ग्राम पंचायतों में भी ये हालात हैं तो कहीं ना कहीं यह एक सोचनीय सवाल है। जांच में कौन दोशी पाया जाता है यह तो प्रशासन तय करेगा पर यह तो तय है कि आवाज उठी है तो कहीं ना कहीं कुछ तो गड़बड़ जरुर है।

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