बदहाली की कगार पर यह प्राकृतिक झरना

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यूँ तो उत्तराखंड अपने आप में असीम प्रकृति समेटे हुए है।  उत्तराखंड के हर राज्य में प्रक्रति का अनूठा संगम देखने को मिलता है। जो केवल उत्तराखंड के निवासियों में ही नहीं बल्कि बाहरी पर्यटकों में भी मशहूर है।

उत्तरखंड में कई असीम झरने हैं लेकिन आज कई ऐसे झरने हैं जो धीरे-धीरे विलुप्ति की कगार पर हैं। लेकिन इनके प्रति चिंता करने और उनको संरक्षित करने वाला कोई नहीं है।

ऐसा ही एक प्राक्रतिक झरना जोशीमठ जोगीधारा के पास है। जिसका दृश्य बहुत ही रमणीक है। जिसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। लेकिन प्रशासन की उदासीनता और वन विभाग के सुस्त रवैए के कारण एक ओर यह स्थल अपनी प्राकृतिक सुंदरता धीरे-धीरे खोने को मजबूर हो गया है। वहीँ दूसरी तरफ विष्णु गाड हाइड्रो प्रोजेक्ट उसके नीचे गुजरने वाली सुरंग के कारण जोगी धारा का पानी धीरे-धीरे जमीन की तलहटी में अपना पानी खो रहा है।

जिसके कारण कभी बारामास बहने वाला झरना अब केवल बरसाती झरना बनकर रह गया है। लेकिन झरनों की देख-रेख के बजाय व् इस असीम झरनों को संवारने के बजाय वन विभाग भी झरने की सुन्दरता को और भी बिगाड़ने पे तुला हुआ है, विभाग के हाल यह हैं कि निर्मित एक सौंदर्य पार्क जोकि विगत 2 साल से क्षतिग्रस्त है । वन विभाग ने पार्क में ही मलबा डाल दिया। जिससे इस पर्यटन स्थल की सुंदरता को खत्म करने पर वन विभाग भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा है।

 

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