डोकलाम समझौता का नाम अजीत डोभाल…

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देहरादून: उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल से ताल्लुक रखने वाले भारत के पांचवे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के चलते भारत और चीन के बीच की तानातानी ख़त्म होने के कगार में पहुँच गयी है। पिछले 16 जून से डोकलाम क्षेत्र को लेकर पनपते भारत और चीन के आपसी विवाद को कूटनीति का इस्तेमाल करते हुए अंजाम तक पहुंचाने के पीछे भारतीय जेम्स बांड कहलाने वाले एनएसए अजीत डोभाल का है। 

इसे अजीत डोभाल की जीत ही कहेंगे की ड्रैगन जो हमेशा ज़हर उगलता है और अपना डर दिखाकर दुसरे पड़ोसी देशों का दमन करने की कोशिश में लगा रहता है, उसने सीमा विवाद को सुलझाने की भारत की पहल को कई बार ठुकराने के बाद आखिर में इसे सुलझाने की हामी भरी है।

पिछले 27 जुलाई को बीजिंग पहुंचे अजीत डोभाल ने चीन के स्टेट काउंसलर यांग जिएची से डोकलाम विवाद को लेकर बातचीत की थी लेकिन ये वार्ता आम नहीं थी, इस दौरान दोनों के बीच काफी सख्त मिजाज में बात हुई।

यांग ने डोकलाम पर डोभाल से सीधा सवाल किया था कि क्या ये आपकी जगह है? इसका जवाब भी डोभाल ने अपने सख्त अंदाज में देते हुए कहा, क्या हर विवादित क्षेत्र चीन का हो जाता है? डोभाल ने स्पष्ट करते हुए कहा कि डोकलाम भूटान का है और भूटान के साथ भारत की सुरक्षा नीति के चलते भारत भूटान की सैन्य मदद कर रहा है।

इस पूरे मामले को सुलझाने में सबसे अहम भूमिका अगर किसी की रही है तो वो है राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार प्रमुख अजीत डोभाल, जिन्होंने ये साबित कर दिया की किसी भी विवाद को सुलझाने के लिए बुद्धि और कूटनीति की आवश्यकता होती है। शुरू से भारत को युद्ध की गीदड़धमकी दे रहे चीन को सबक सिखाते हुए भारत ने ये बता दिया है, विवाद को सुलझाने के लिए युद्ध के अलावा भी कई तरीके है।

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