कुछ सीखिए नन्ही रिद्धिमा से…

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नन्ही रिद्धिमा …

हरिद्वार – प्रदूषित वातावरण में रहते-रहते हम लोग इसके आदि हो गये है इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए जहा हर किसी को पहल करनी चाहिए वही हम एक दूसरे का मुह ताकते हुए बैठते है कि कोई और बाहर से आकर हमारे दूषित पर्यावरण को दुरुस्त कर देगा। ग्लोबल वार्मिंग कि चपेट में पूरा विश्व आ गया है और अगर इसी रफ़्तार से हम प्रदुषण फेलाते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब हमें सास लेने के लिए हर वक़्त ऑक्सीजन सिलिंडर कि जरूरत पड़े। अनियंत्रित प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के चलते जलवायु परिवर्तित हो रही है लेकिन इसे समझते हुए भी हम लोग ऐसे आँख मूंद कर बैठे है जैसे कोई कबूतर बिल्ली को सामने देखकर अपनी आँखे बंद कर के बैठी हो।

पूर्व में प्रदुषण का स्तर इतना कम होता था कि, प्रकृति स्वयं ही इसकी क्षति पूर्ति कर लेती थी, पर अब प्रदुषण का स्तर इतना ज्यादा बढ़ गया है कि प्राकृतिक स्रोतों से भी अब इसका समाधान नहीं हो पा रहा है। प्रकृति अगर वरदान बन हमें पोषित कर सकती है तो अभिशाप बन हमारा खात्मा भी कर सकती है इस बात को समझाने कि किसी को जरूरत नही होगी लेकिन फिर भी प्रकृति का अंधाधुंध दोहन चल रहा है। इस वैश्विक समस्या को कोई और समझे या न समझे लेकिन हरिद्वार कि नौ वर्षीय नन्हीं पर्यावरणविद् रिद्धिमा पांडेय ने इस एहम मसले को समझते हुए एनजीटी में याचिका दाखिल कि है।

ग्लोबल वार्मिंग को लेकर रिद्धिमा की चिंता ने उसे न सिर्फ भारत, बल्कि विदेशों में भी ख्याति दिलाई। रिद्धिमा कि पर्यावरण कि समझ को देखते हुए रिद्धिमा और उनके पिता दिनेश पांडेय को फ्रांस कि कांफ्रेंस में आमंत्रित किया गया है। रिद्धिमा को वहां न सिर्फ सम्मानित किया जाएगा, बल्कि वह अपनी बात भी दुनिया के पर्यावरणविदो के सामने रखेगी। ग्लोबल वार्मिंग को लेकर वह क्या महसूस करती है। इससे निपटने के लिए बालमन में क्या चल रहा है। इस पर वह तीन नवंबर को पेरिस में होने वाली कॉन्फ्रेंस में अपनी बात रखेगी।

रिद्धिमा को पर्यावरण और जंगल की समझ विरासत में मिली है। हरिपुर कलां (रायवाला) की रहने वाली रिद्धिमा के पिता दिनेश चंद्र पांडेय वन्यजीव संरक्षण के लिए कार्य करने वाली संस्था वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया में फील्ड ऑफिसर और मां विनीता पांडेय वन विभाग के हरिद्वार डिवीजन में कार्यरत हैं। जाहिर है कि घर में जंगल, पर्यावरण और वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। बालमन पर इसका भी असर पड़ा। वर्तमान में भूपतवाला स्थित बीएमडीएवी पब्लिक स्कूल में कक्षा छह की यह छात्रा आज पर्यावरण और वन्यजीवों को लेकर अपने सवालों से विशेषज्ञों को भी अचरज में डाल देती है।

रिद्धिमा के पिता दिनेश पांडे के अनुसार 29 मार्च 2017 को रिद्धिमा की ओर से एनजीटी में 54 पृष्ठों की याचिका दाखिल की गई, जिस पर सुनवाई चल रही है। इसमें पर्यावरण पर पड़ रहे असर, भविष्य में जीवन पर संकट, बीमारियां समेत अन्य बिंदुओं का जिक्र किया गया है। बता दें कि रिद्धिमा सबसे कम उम्र में एनजीटी में याचिका दाखिल करने वाली बालिका है।

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