ईष्ट के खौफ से ग्रामीणों के मन से “शौच” की सोच दफा!

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उत्तरकाशी: हम आज 21वीं सदी में हैं। लेकिन आज भी हमारे देश में कई ऐसी भ्रांतियां हैं जिसके कारण यह कहना पूरी तरह से संदेहप्रद होगा कि हम 21 वीं सदी में जी रहे हैं।

यह हम केवल जुबानी बात नहीं कह रहे हैं बल्कि हम जो आपके सामने उदाहरण पेश कर रहे हैं, उससे वाकई में आपको लगेगा कि आज भी हमारा समाज आगे नहीं बढ़ा है बल्कि आज भी समाज में अंधविश्वास और विभिन्न प्रकार की भ्रांतियां व कुरूतियां हावी हैं।

ऐसा ही एक उदाहरण है उत्तरकाशी का उडरी गांव जहां आज शौचालय घरों में बनाने का अर्थ होता है कि अपने देवता को नाराज करना।

हम आपको बता दें कि इस गाजणा क्षेत्र के दो गांव ऐसे हैं, जहां शौचालय बनाना गलत है। लेकिन खुले में शौच करना गलत नहीं। ग्रामीण व क्षेत्र पंचायत प्रतिनिधि नाथी कैंतुरा ने बताया कि ग्रामीणों में यह भ्रांति है कि यदि किसी ने शौचालय बनाया तो उसके परिवार के लोग बीमार हो जायेंगे।

नाथी की मानें तो यह बात सच भी है, उन्होंने एक वाकया का जिक्र करते हुए बताया कि जिसने भी अपने घर में शौचालय बनवाया उसके परिवार में तो मानो जैसे बीमारियों का तांता लग गया। वो आगे बताते हैं कि उनका इलाज भी करवाया गया, दवाईयां लगातार चलीं लेकिन परिणाम नजर नहीं आया। फिर जा कर देवता की पूजा करवाई गई जिसके बाद सभी बीमारी से मुक्ति मिल गई।

हालांकि यहां पर सवाल यह उठता है कि भला बीमारी से देवता का क्या संबंध? यदि ऐसा है तो आज अस्पताल यूं खचा-खच न भरे रहते। हजारों लोग यूं इलाज के लिए नहीं भटकते और ना ही लोग बीमारी की चपेट में आने से मरते?

नाथी आगे बताते हैं कि गांव में यह भ्रांति है कि यदि शौचालयों का निर्माण किया जायेगा तो देवता नाराज हो जायेंगे और जिसका परिणाम कुछ भी हो सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि गांव में कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने शौचालयों का निर्माण तो करवाया लेकिन बीमारी के भय से उन्होंने भी अपने शौचालयों में ताले जड़ दिए, लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह भी सामने आई कि जो क्षेत्र पंचायत प्रतिनिधि हैं (नाथी) जिन्होंने खुद हमें इसके बारे में बताया वो खुद भी इस भ्रांति के चक्कर में फंसे हुए हैं। खुद उनके घर पर भी अभी तक शौचालय का निर्माण नहीं  है।

वहीं, स्वजल अधिकारियों ने भी गांव पहुंचकर ग्रामीणों से राय मशविरा किया। ग्रामीणों ने अधिकारियों को देवता से जुड़ी घटनाओं के बारे में बताया। स्वजल के अधिकारियों ने ग्रामीणों के साथ बैठक कर कहा कि वे देवता को मनाएंगे और गांव में शौचालयों के निर्माण करवाएंगे। स्वजल के अधिकारियों ने आगामी किसी भी दिन ग्रामीणों को बैठक की सूचना देने की बात कही।

भारतवर्ष में आज भी कई भ्रांतियों में लोग जी रहे हैं। हम यह नहीं कह रहे हैं कि अपने पूर्वज और अपने ईष्ट देवताओं को भूल आप आज के दौर में जिएं, लेकिन हम यह जरूर कहना चाहेंगे कि अपने ईष्ट देवताओं के साथ ही आज के दौर में भी चलना सीखें और भ्रांतियों को छोड़ आने वाले भविष्य पर ध्यान देना चाहिए।

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