केदरनाथ हैली सेवाओं के री-टेंडेर जारी, ‘हैलो उत्तराखंड’ ने पहले ही उठाये थे सवाल

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देहरादून: चारधाम यात्रा को लेकर जारी टेंडर में एक बार फिर नौकरशाह औंधे मुंह गिर पड़े हैं। टेंडर जारी होने से लेकर तमाम विवाद इससे जुड़ते रहे हैं, कई शर्तो में संशोधन के बाद, साथ ही कई बार टेंडर की तिथि को बढ़ाए जाने के बाद भी, फिर से री-टेंडर जारी कर दिया गया है। इतने विरोधों और सरकार की इतनी किरकिरी के बाद भी नौकरशाह अपने खेल से बाज नहीं आ रहे हैं। लेकिन, नौकरशाहों की मनमानी पर सरकार की चुप्पी भी हैरानी भरा है। जैसे-तैसे नौकरशाहों ने अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए टेंडर को तो ढाल दिया, लेकिन वे अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए शर्तों को बदलते-बदलते टेंडर के नियम-कानूनों को भूल गए। अब यही नियम-कानून नौकरशाहों के आड़े आया है। जिसके चलते उन्हें फिर री-टेंडर जारी करना पड़ा।

बिड ऐसे डाली गई थी।
सिरसी में 3 ओपेरक्टर्स के एक समूह ने एक ही बिड डाली थी।
फाटा में 3 ओपेरक्टर्स के एक समूह ने एक ही बिड डाली थी।
गुप्तकाशी में 3 ओपेरक्टर्स के एक समूह ने एक ही बिड डाली थी।
गोविंदघाट में 1 ही ओपेरक्टर्स ने बिड डाली थी।

गौरतलब है कि हैलो उत्तराखंड न्यूज़ ने पूर्व में ही खबर प्रकाशित कर इसकी आशंका जताई थी और हुआ भी ऐसा ही। दरअसल “टेंडर प्रोक्योरमेंट लॉ” के तहत किसी भी टेंडर में एक सिंगल बिडर को टेंडर नहीं दिया जा सकता। यदि एक ही बिड आई हो और उसे ही टेंडर देना हो तो, इससे पहले री-टेंडर यानी कि दोबारा टेंडर करना पड़ता है। इसी के चलते नौकरशाहों को भी मंगलवार को री-टेंडर जारी करना पड़ा। साथ ही री-टेंडर में फिर से कुछ शर्तें को पहले की तरह ही रखी गई हैं, जैसे 2 हेलिकॉप्टर्स का स्वामित्व और एक लीज की शर्त, 2 साल के अनुभव को 3 साल वापस करना जैसी कुछ पुरानी ही शर्तें रखी गई हैं, जो अब फिर से बदली जा सकती हैं। यदि नहीं बदली जाती हैं तो, इन नौ ऑपरेटरों में से भी कई बाहर हो जाएंगे। लेकिन यह तय है की इन्हीं ऑपरेटर्स को परमिशन मिलना है। 

अब सवाल ये उठता है कि, आखिर यात्रा शुरू होने तक भी क्यों एक पारदर्शी टेंडर जारी नहीं हो सका है जिस से हर एक उस ऑपरेटर को उड़ने का मौका मिले जिस ऑपरेटर के पास हिल फ्लाइंग एक्सपेरेंसड पायलट्स हो और जो लगातार उत्तराखंड में अपनी सेवाएं देतें आ रहे है। आखिर क्यों टेंडर की शर्तों को बार-बार बदलकर भी कुछ ही ऑपरेटरों तक सीमित रखा जा रहा है। क्यों ऐसे गंभीर विषय पर नौकरशाहों की मनमानी पर सरकार हस्तक्षेप नहीं कर रही है। जिससे कि कई सारी चीजें प्रभावित हो रही हैं, जिसमें हेलिपैड संचालक से लेकर हर वह सख्स जो इन हेलिपड्स पर निर्भर है, स्थानीय रोज़गार, टूर ऑपरेटर्स, यात्रियों की बेहतर सुविधा आदि।

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