उत्तराखंड में 108 एंबुलेंस सेवा के पूर्व कर्मचारियों ने राष्ट्रपति से की इच्छा मृत्यु की मांग

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देहरादूनः प्रदेश में 108 सेवा के पूर्व कर्मचारियों ने राज्य सरकार के रवैये से तंग आकर  राष्ट्रपति रामनाथ कोविद को ज्ञापन भेजकर इच्छा मृत्यु देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि 11 वर्ष की सेवा के बाद उन्हें हटा दिया गया है। पिछले कई दिनों के आंदोलन के बावजूद सरकार उनके समायोजन में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। उन्हे मानदेय नहीं मिल रहा है। जिस कारण वह आर्थिक तंगी से जूझ रहे है।

 उत्तराखंड 108 एवं केकेएस फील्ड कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री विपिन जमलोकी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि 2005 से वह राज्य के दुर्गम और दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के लिए कार्य कर रहे थे। कर्मचारियों ने 108 सेवा को जीवनदायिनी बनाने के लिए दिन रात मेहनत की, लेकिन सरकार ने कर्मियों की इस मेहनत का पुरस्कार देने के बजाय उनके साथ अन्याय किया। सरकार ने सेवा के संचालन के लिए कंपनी बदली, लेकिन कर्मचारियों के हितों का ध्यान नहीं रखा। राज्य के 717 युवा 11 साल की सेवा के बाद बेरोजगार हो गए। पिछले दो माह से अधिक समय से वह धरना प्रदर्शन कर सरकार से समायोजन की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी बिल्कुल भी नहीं सुनी जा रही है। उनके परिवारों के सामने गंभीर आर्थिक संकट पैदा हो गया है। इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष नीरज कुमार शर्मा समेत अन्य सदस्य भी मौजूद रहे।

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