उत्तराखंड: यूकाडा के अयोग्य नीति-निर्धारकों से हेली सेवाएं अव्यवस्थित! अस्थायी उड़ानों में बड़ा खेल!

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देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के लिए हेली सेवायें पूरी तरह अव्यस्थित दिख रही हैं। जिसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। कहने को हेली सेवा धाम के लिए जारी तो है, लेकिन धरातल पर आम यात्रियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिससे कई यात्रियों को बिना धाम दर्शन ही निराश वापस लौटना पड़ रहा है, तो किसी को धाम में ही कई दिनों तक उड़ान का इन्तजार करना पड़ रहा है। इसके लिए उत्तराखंड सिविल एविएशन डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूकाडा) की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। वहीँ हेली सेवाओं में व्याप्त अव्यवस्थाओं से तो यही लगता है कि, यूकाडा के पास ही योग्य नीति-निर्धारकों की कमी है, जिससे शासन स्तर तक सही आंकलन नहीं पहुँच पाता है और इसका खामियाजा यात्रियों और राज्य को ही भुगतना पड़ रहा है।

दरअसल, प्रत्येक दिन हजारों यात्रियों की तुलना में धाम के लिए केवल 7 हेलीकॉप्टर ही उड़ान भर पा रहे हैं। उनमे से भी किसी कम्पनी के ऑनलाइन टिकट उपलब्ध नहीं है। माना जा रहा है कि, कम्पनियों द्वारा बड़े टूर ओपरेटरों को पहले ही सारी टिकटों को बेचा जा चुका है। जबकि नियमानुसार 70 प्रतिशत टिकट ऑनलाइन बिक्री की जानी चाहिए।

इससे पहले यूकाडा की नीतियों के चलते हेली सेवाओं के शुरू होने में देरी हुई थी। तत्पश्चात सेवाएं शुरू करने के लिए टेंडर भी जारी हुए तो 9 कम्पनियों में से 2 कम्पनियों ने टेंडर से ही नाम वापस ले लिया। फलस्वरूप 7 हेलीकॉप्टर ही उड़ान भर पाए। सेवा शुरू होने से यात्री कुछ हद तक राहत महसूस कर रहे थे कि, हेली टिकटों की मारामारी से फिर से निराश ही होना पड़ा।

वहीँ फिर एक बार हेली उड़ानों की कमी से जूझ रहे यात्रियों के लिए दोबारा से एक और टेंडर जारी करना पड़ा, जिसकी अंतिम तिथि 23 मई को है। लेकिन इस बीच यूकाडा की ओर से ईओआई जारी किया गया है, जिसमे 22 से 25 मई तक के लिए अस्थायी तौर पर हेली सर्विस के लिए कंपनियों को आमंत्रित किया गया है। टेंडर के बीच अस्थायी तौर पर हेली सर्विस के नाम पर यूकाडा के चहेतों को लाभ पहुंचाने की ओर इशारा भी समझा जा रहा है। इससे पहले भी कई बार विभिन्न शर्तों में बदलाव कर चहेतों को लाभ पहुँचाने का आरोप भी यूकाडा पर लगता रहा है। ऐसे में इस कदम को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है।

इस तरह टेंडर से लेकर उड़ान तक कई भागों में हेली सेवाओं के बाँटने से अव्यवस्था के साथ ही यात्रियों को कई पर्शानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीँ एक बड़ा सवाल यह भी उठता है कि, जब यात्रियों के लिए बीते साल से लेकर अभी तक हेली सेवाओं का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा और यात्रा के बीच दोबारा से टेंडर निकलने व अस्थायी तौर पर हेली सर्विस लेने के लिए भी मजबूर होना पड़ा है, तो मुख्य टेंडर में ही क्यों अधिक-से-अधिक कम्पनियों को उड़ान का मौका नहीं दिया गया।

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