सुप्रीम कोर्ट का आदेश- पत्रकार प्रशांत कनौजिया को रिहा करे यूपी सरकार

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कथित आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर प्रशांत कनौजिया को तत्काल ज़मानत पर रिहा करने के आदेश दे दिए हैं। जस्टिस इंदिरा बैनर्जी और अजय रस्तोगी की बैंच ने पुलिस से कहा कि प्रशांत के ट्वीट को सही नहीं कहा जा सकता लेकिन क्या इसके लिए उसे जेल में कैसे डाल सकते हैं।

दरअसल, प्रशांत कनौजिया ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर एक ट्वीट के साथ वीडियो पोस्ट की थी जिसमें एक महिला आदित्यनाथ से अपने प्रेम प्रसंग को लेकर बात कर रही है। जिसपर एक पुलिसकर्मी ने ही लखनऊ के हज़रतगंज थाने में एफ़आईआर दर्ज करवाई थी और प्रशांत पर आईटी एक्ट की धारा 66 और मानहानि की धारा (आईपीसी 500) लगाई गई थी। बाद में धारा 505 को भी जोड़ दिया गया था। जिसके बाद प्रशान्त को उत्तर प्रदेश पुलिस ने शनिवार को उनके घर से गिरफ्तार किया था।

बता दें कि मामले को लेकर प्रशांत कनौजिया की पत्नी जगीशा अरोड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में गिरफ्तारी के ख़िलाफ़ हेबियस कोर्पस के तहत पीटिशन डाली थी।उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से मुकदमे की पैरवी कर रहे वकील ने दलील दी कि प्रशांत के ट्वीट भड़काऊ हैं। पहले के भी उनके ट्वीट ऐसे रहे हैं और इसलिए सेक्शन 505 को भी जोड़ा गया। जिस पर जस्टिस इंदिरा ने कहा कि हम मानते हैं कि ऐसे ट्वीट नहीं लिखे जाने चाहिए थे लेकिन इसके लिए गिरफ्तारी कैसे सही है।

कोर्ट ने कहा कि किसी नागरिक की आज़ादी के साथ समझौता नहीं हो सकता। ये उसे संविधान से मिली है और इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने आगे सवाल किया कि इसमें शरारत क्या है। आमतौर पर हम इस तरह की याचिका पर सुनवाई नहीं करते। लेकिन इस तरह किसी व्यक्ति को 11 दिनों तक जेल में नहीं रख सकते। ये केस हत्या का नहीं है। इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने कहा। प्रशांत को तुंरत रिहा किया जाना चाहिए। यूपी सरकार ने इस पर कहा। मजिस्ट्रेट ने रिमांड में भेजा है। इस तरह छोड़ा नहीं जा सकता। कोर्ट ने कहा, हम ऐसे बातों को पंसद नहीं करते लेकिन सवाल है कि क्या उसे सलाखों के पीछे रखा रखा जाना चाहिए।

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