सुविधाओं के नाम पर हेलीपैड पर कुछ नहीं

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बद्रीनाथ: यूकाडा ने बद्रीनाथ धाम में हेलीपैड बनाया है। यह हेलीपैड काफी व्यस्त भी रहता है। इस हेलीपैड पर औसतन हर पांच-छह मिनट में एक हेलीकाॅप्टर उतरता है। यहां आने वाले यात्रियों की संख्या का इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। बावजूद इसके हेलीपैड पर दी जाने वाली सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है। 

बद्रीनाथ में सरकारी हेलीपैड पर यात्रियों के गेस्ट रूम तो दूर की बात। यात्रियों के बैठने तक के लिए स्टैंड नहीं बनाया गया है। हेलीकाॅप्टर के इंतजार में यात्रियों को खड़ा ही रहना पड़ता है। इससे महिलाओं को खासी दिक्कतों से दो-चार होना पड़ रहा है। महिलाएं परेशान होकर जमीन पर बैठने को मजबूर हैं। सवाल यह है कि यूकाडा को सिर्फ लैंडिंग चार्जेज आने से मतलब है।  यात्रियों की परेशानियों और सेफ्टी से कोई सरोकार नहीं है । हैरत की बात यह है की बद्रीनाथ, बडकोट और हर्षिल के हेलिपैड पर युकाडा ने  कोई कर्मचारी भी तैनात नहीं किया है। हेलीपैड तक पहुंचने की सड़क भी ठीक नहीं है। इससे यात्रियों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पडता  है।  और तो और हेलीपैड का आधा से अधिक हिस्सा अब भी कच्चा है, यह बात बद्रीनाथ, बडकोट और हर्षिल के हेलिपैड पर लागूं होती है ।

कमाई मेसा गोलमाल का खेल 

हेपैड पर उतरने वाले हेलिपैडों से युकाडा को 2000 प्रति हेलिकोप्टर का शुल्क मिलता है, लेकिन युकाडा को इसका कैसे पता चलेगा जब वहां कोई कर्मचारी ही तैनात नहीं किया गया है। इसको लेकर एक सवाल भी उठता है। वह यह है की क्या हेलिपैडों पर जो जहाज उतर रहे हैं, कहीं उनसे युकाडा के अधिकारियों की मिलीभगत तो नहीं है, अगर नहीं तो फिर सरकार ने  हेलिपैडों युकाडा ने कोई कर्मचारी खड़ा क्यों नहीं किया गया।

हेल्लो उत्तराखंड से बात करते हुए बडकोट एसडीम पूरण सिंह राणा ने बताया की हेलीपैड पर किसके हेलिकॉप्टर उतर रहे हैं उनको इसकी कोटि जानकारी नहीं है। कोई प्रमिशन भी नहीं ली जा रही है। 

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