स्टिंगबाजों के साथ ही ब्लैकमेलिंग में शामिल भाजपा नेताओं को भी सबक सिखाए मुख्यमन्त्री: नेगी

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देहरादून: स्थानीय होटल में पत्रकारों से वार्ता करते हुए जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जी0एम0वी0एन0 ने पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि जनसंघर्ष मोर्चा द्वारा प्रख्यात स्टिंगबाज उमेश शर्मा के खिलाफ लगभग 8-9 वर्षों से मोर्चा खोल रखा है, लेकिन ऊँची पहुँच एवं अकूत सम्पत्ति के बल पर अब तक वो सलाखों से बाहर था। नेगी ने कहा कि, शर्मा के खिलाफ प्रदेश भर में एक दर्जन से अधिक मुकदमें भिन्न-भिन्न मामलों जैसे फर्जीवाड़े, जमीन हथियाने, धमकाने, धोखाधड़ी आदि के दर्ज थे, जिसमें से कुछ मुकदमें शर्मा द्वारा राजनैतिक पहुँच  एवं रसूक का लाभ उठाकर वापस करा लिये थे। नेगी ने उमेश शर्मा से सम्बंधित कई पुराने दस्तावेजों के आधार भाजपा के कई नेताओं पर गंभीर आरोप लगाये।

उन्होंने कहा कि, शर्मा के खिलाफ पुलिस ने 6 जून 2011 को 2500 का इनामी भगोड़ा घोषित किया तथा 21 फरवरी 2011 को लुक आउट सर्कुलर जारी किया और बगैर तथ्यों को परखे 31 जनवरी 2012 को एलओसी  निरस्त करवा दी गयी, जबकि एनबीडब्ल्यू पुलिस द्वारा जारी किया हुआ था।

नेगी ने कहा कि, तत्कालीन निशंक सरकार ने शर्मा के खिलाफ शिकंजा कसा लेकिन, भाजपा के ही पूर्व मुख्यमन्त्री भगत सिंह कोश्यारी ने अपने आवास पर पनाह देकर सरकार के मंसूबों पर ही पानी फेर दिया था। शर्मा के खिलाफ मा0 उच्च न्यायालय में योजित जनहित याचिका सं0 66/2012 में मा0 न्यायालय ने 22 नवम्बर 2012 में सरकार को पूरी फोर्स लगाकर भगौड़े शर्मा को गिरफ्तार करने के आदेश दिये थे, लेकिन उस वक्त मुख्यमन्त्री बहुगुणा अपनी कार में बैठाकर सचिवालय तक ले जाते थे जिस कारण उस वक्त बहुगुणा द्वारा सुरक्षा कवच प्रदान किये जाने के कारण पुलिस गिरफ्तारी नहीं कर पायी थी। मोर्चा ने उस वक्त भी काफी संघर्ष किया लेकिन, पुलिस शर्मा पर हाथ नहीं डाल पायी।

इसके आलावा नेगी ने कहा कि, उक्त स्टिंगबाज उमेश शर्मा ने वर्तमान में भाजपा नेता मन्त्री हरक सिंह रावत के साथ जुगलबन्दी कर तत्कालीन हरीश रावत सरकार को ब्लैकमेल करने का काम किया तथा सरकार गिराने में कोई कसर नहीं छोड़ी, जबकि स्टिंग सिर्फ और सिर्फ ब्लैकमेलिंग के लिए किया गया था। मोर्चा की जनहित याचिका पर अभी हाल ही में उक्त प्रकरण पर उमेश शर्मा, हरक सिंह रावत, सीबीआई इत्यादि को मा0 न्यायालय द्वारा 28 अगस्त 2018 को नोटिस जारी किया गया है।

नेगी ने कहा कि, भाजपा के मन्त्री सुबोध उनियाल से गहरे रिश्तों के चलते उक्त स्टिंगबाज को उनियाल अपने साथ मैच दिखाने विदेश ले गये जबकि, एयरपोर्ट अथॉरिटी द्वारा 8 अगस्त 2012 को एलओसी का जिक्र किया लेकिन, एनबीडब्ल्यू जिन्दा होने के बावजूद राजनैतिक पहुँच के चलते एनओसी दिलवा दी गयी। उक्त शर्मा को तत्कालीन महाधिवक्ता सुबोध उनियाल का भी संरक्षण प्राप्त था। नेगी ने कहा कि सूबे के मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र रावत को इस प्रकार की ब्लैकमेलिंग में शामिल भाजपा नेताओं को भी सबक सिखाने हेतु नये सिरे से बैटिंग करने की जरूरत है।

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