संसद में गूंजा दिमागी बुखार से मासूमों की मौत का मामला, अब तक 150 से अधिक बच्चों की मौत, 500 से ज्यादा प्रभावित

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नई दिल्ली: संसद का बजट सत्र शुरू हो चुका है और शुक्रवार को विधिवत तौर पर लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई। संसद के दोनों सदनों में शुक्रवार को बिहार में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम(दिमागी बुखार) से मासूमों की मौत का मामला गूंजा। लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा के दौरान विपक्ष ने दिमागी बुखार से हो रही मौतों का मामला उठाया।

राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही उपसभापति हरिवंश ने तीन महीने पहले श्रीलंका के क्राइस्टचर्च में हुए आतंकी हमलों में जान गंवाने वाले लोगों के प्रति श्रद्धांजलि दी। इस पर विपक्ष के सांसदों ने बिहार में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम(एईएस) से मारे गए बच्चों के प्रति भी श्रद्धांजलि देने की मांग की। विपक्ष की मांग के बाद पूरे सदन में एईएस से जान गंवाने वाले बच्चों के प्रति मौन रखकर सदन के भीतर श्रद्धांजलि दी।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने दिमागी बुखार का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि बिहार में तो एनडीए की सरकार भी है। उन्होंने ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ की तर्ज पर ‘एक राष्ट्र एक पोषण नीति’ लागू किए जाने की मांग की।

इसके जवाब में केंद्रीय बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि सरकार पहले से ही इस तरह की योजना चला रही है। स्मृति ने कहा कि कुषोषण से कहीं भी कोई भी मौत दुखद है और एक मां होने के नाते मैं बच्चों की मौत का दर्द समझ सकती है।

एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम से हो रही बच्चों की मौत पर राजद सांसद मनोज झा ने राज्यसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिया। उन्होंने 24 जून को दिमागी बुखार पर चर्चा के लिए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का नोटिस दिया, जिस पर सोमवार को चर्चा संभव है।

मालूम हो कि बिहार में अब तक इस बीमारी से हुई मौतों का आंकड़ा 153 तक पहुंच गया है। सिर्फ मुजफ्फरपुर के सरकारी अस्पताल में अब तक 120 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस बीमारी से अबतक 500 से ज्यादा बच्चे प्रभावित हुए हैं। आंकड़े गुरुवार शाम तक के हैं।

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