सडक के अभाव में मीलों पैदल पगडंडी नापने को मजबूर ग्रामीण

Please Share

मसूरी: विश्वविख्यात पर्यटक स्थल मसूरी से सटे रायपुर ब्लाक का ग्राम पंचायत मोटीधार के सैकड़ो ग्रामीण 70 के दशक में भी सड़क के आभाव में पगडंडी नापने को मजबूर है। स्थानीय लोगों ने सरकारी तंत्र के उदासीन रवेये पर नाराजगी जाहिर करते हुए ग्राम पंचायत मोटीधार की उपेक्षा का आरोप लगाया। गाँव में सड़क व मूलभूत सुविधाओं के आभाव में कई परिवार गाँव से पलायन कर चुके है और कई परिवार पलायन करने को मजबूर है।

मसूरी से लगभग 12 किमी दूर धनोल्टी मार्ग पर ग्राम पंचायत मोटीधार के ग्रामीण सडक के अभाव में चार किमी पैदल पगडंडी नापने को मजबूर है। आजादी के 70 साल बाद आज भी ग्रामीणों को गांव में सड़क पहुचने का बेसब्री से इंतजार है। इसी इंतजार में ग्रामीण रोजमर्रा की भागदौड़ पगडंडियों के सहारे ही कर रहे है।

सबसे ज्यादा परेशानी का सामना उस वक्त उठाना पड़ता है, जब गाँव में कोई बीमार होता है या महिलाओं के प्रसव पीड़ा के दौरान उसे कुर्सी या कंडियों में बांधकर बमुश्किल मुख्य सड़क तक लाना पड़ता है। वहीं ग्रामीणों को नकदी फसल को भी मुख्यमार्ग तक लाने में खासी परेशानी उठानी पड़ती है।

वर्ष 2016- 2017 में मनरेगा योजना के तहत मुख्य मार्ग से कुछ दूरी तक सीसी खड़ेंजा मार्ग का निर्माण किया गया था वो भी अब क्षतिग्रस्त होने लगा है। उससे आगे ग्रामीणों ने श्रमदान कर छोटी से पगडंडी बनाई, जिसके सहारे ग्रामीण पैदल आवाजाही करते है। ग्रामीण कई बार शासन प्रशासन से गुहार लगा चुके है लेकिन सुनवाई नहीं हो पाई।

गाँव के स्कूली बच्चे रोजाना तीन से चार किमी दूरी पैदल कफलानी स्कूल में पढ़ने जाते है। बरसात के दिनों से पैदल मार्ग पर खतरा इतना बढ़ जाता है और ऊपर पहाड़ से पत्थर गिरने लगते है। वही मार्ग पर कीचड़ होने के कारण फिललने का खतरा भी अधिक रहता है। कई बार बच्चे चोटिल भी हो जाते है।

You May Also Like