सबसे अधिक वीरान है पौड़ी, आजीविका व रोजगार की कमी के चलते बढ़ा पलायन

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देहरादून: उत्तराखंड में पलायन का दंश अब विकराल समस्या बन चुका है। जनपद पौड़ी जिले में सबसे अधिक लोगों ने रोजगार की कमी के चलते पलायन किया। जिले की 1212 ग्राम पंचायतों में से 1025 पलायन से प्रभावित हैं। पलायन की मुख्य वजह रोजगार की कमी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सौंपी गई पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, पौड़ी से कुल पलायन में से 52 प्रतिशत बेरोजगारी के कारण हुआ है। रोजी-रोटी के लिए लोग पौड़ी के गांवों से बाहर निकले और फिर वहीं के होकर रह गए।

आयोग के उपाध्यक्ष डा. शरद सिंह नेगी ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को यह रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में उन्होंने पौड़ी के सभी 15 विकासखंडों में पलायन के कारण, उनके प्रभाव और नियंत्रण के उपाय भी बताए। कुल 1212 ग्राम पंचायतों में से 1025 में पलायन हुआ है। इसमें से करीब 52 फीसदी पलायन केवल आजीविका के लिए हुआ है। 26 से 35 वर्ष आयु के करीब 34 लोगों ने राज्य से बाहर पलायन किया है।

वर्ष 2011 के बाद जिले में करीब 25 फीसदी यानी 186 गांव और तोक पूरी तरह मानव विहीन हुए हैं। वहीं, 112 तोक, गांव या मजरों की जनसंख्या में 50 फीसदी से अधिक की कमी आई है।

पौड़ी के बाद सबसे ज्यादा पलायन वाला जिला अल्मोड़ा है। इसके बाद आयोग ने अल्मोड़ा में विस्तृत सर्वे करने की योजना बनाई है। मार्च 2019 तक इसकी रिपोर्ट तैयार करने की बात कही गई। इसके लिए 20 लोगों की टीमें बनाई गई हैं।

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