चढ़ावा मिलना चाहिए….पापी हो या पुण्यात्मा कोई फर्क नहीं पड़ता

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देहरादून: भगवान बद्रीनाथ में लोग पुण्य अर्जित करने के लिए आते हैं, लेकिन मंदिर समिति और सरकार को इस बात से काई फर्क नहीं पड़ता कि, जिस पवित्र धाम में लोग देश और दुनिया से आते हैं। उस चढ़ने वाला चढ़ावा कहां से आ रहा है। कुछ लोग गुप्त दान करते हैं। उसका भले ही कुछ नहीं किया जा सकता हो, लेकिन जो घोषित अपराधी खुद आकर मंदिर को सोनी पत्तर (सोने की परत चढ़ा तांबा) की छत चढ़ाने आते हैं। उनको तो रोका जा सकता है। खासकर जब मामला अंतरराष्ट्रीय घोषित अपराधियों का हो, तो मामले को अधिक गंभीरता से लिया जाना चाहिए, बद्री-केदार मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह इस बात पर अड़े हुए हैं कि छत हर हाल में चढ़ेगी। इससे सबकुछ जानने के बाद चुप्पी साधे सरकार की नीयत पर भी सवाल खड़े होते हैं।

सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि दक्षिण अफ्रिका के गुप्ता बंधु पिछले साल, तब तक उनके खिलाफ जांच का कोई मामला सामने नहीं आया था। वे खुद ही मंदिर के मुख्य कार्य अधिकारी बीडी सिंह के पास मंदिर पर सोने की पत्तर चढ़ाने का प्रस्ताव लेकर आए थे। मंदिर के पास ही उन्होंने कथा कराने का प्रस्ताव भी रखा था, जो जल्द शुरू होने वाली है। कुछ अहम सवाल हैं, जिनके जवाब मंदिर समिति और सरकार को देने होंगे।

सूत्रों की मानें तो इस पूरे मामले में सरकार का एक वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल है। वे मंदिर समिति को कथा आयोजन को सही ढंग से संपन्न कराने को लेकर कई बार फोन भी कर चुके हैं। यह गंभीर बात भी है। इसी कारण सवाल भी उठ रहे हैं। पहली बात यह कि क्या उत्तराखंड सरकार को इस मसले का धर्म से ऊपर उठकर एक जिम्मेदार सरकार की तरह नहीं देखना चाहिए? दूसरी बात यह कि जिन गुप्ता बंधुओं को दक्षिण अफ्रिका की जांच एजेंसी द हाॅक ढूंड रही है। वह भारतीय जांच एजेंसियों के संपर्क में भी बताई जा रही है। उनके चढ़ावे को रोका नहीं जाना चाहिए? तीसरी बात जिन गुप्ता बंधुओं पर ईडी और आयकर की जांच लंबित हो क्या जानकारी होते हुए भी उनका दान लेना उचित है? इतना ही नहीं इस मामले को लेकर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि दान कोई भी दे सकता है। चाहे वह पुण्यात्मा हो या फिर कोई पापी। हांलांकि मंदिर समिति अध्यक्ष गणेश गोदियाल पहले ही साफ़ कर चुके हैं की वह इस मामले  की जाँच के लिए केंद्र सरकार और ईडी को पत्र लिखेंगे। इससे एक बात तो तय है कि सरकार इस पूरे मामले में जानबूझकर चुप्पी साधे हुए है। होना यह चाहिए था कि मुख्यमंत्री खुद सामने आकर पूरे मामले में हस्तक्षेप करते।

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