जरूर पढ़ें: ना कानून टूटा, ना अनशन

Please Share

हल्द्वानी: हर दिन कुछ होता है कि ना चाहते हुए भी वो खुद ही खबर बन जाती है। ऐसा ही एक वाकया हल्द्वानी में भी हुआ। मंगलवार को भारत बंद के एलान के चलते हल्द्वानी में धारा-144 लगा दी गई थी। इसके चलते चार से अधिक लोग एक साथ जमा होकर कोई आंदोलन नहीं कर सकते थे।

अदरसल, हुआ कुछ यूं कि हल्द्वानी में इन दिनों बनभूलपुरा और दूसरे इलाकों के लोग गौला नदी के किनारे वन भूमि पर बने ट्रंचिंग ग्राउंड का विरोध कर रहे हैं। जिस जगह कूड़ा डाला जा रहा है। वह आधिकारिक रूप से ट्रंचिंग ग्राउंड नहीं है, लेकिन लगातार कूड़ा डाला जा रहा है। कूड़ें की सड़ांध लोगों की सांसों में जर घोल रहा है। उसी जहर से मुक्ति के लिए लोग मुक्ति संघर्ष कर रहे हैं। उसीके तहत ट्रंचिंग ग्राउंड का लोग पहले भी विरोध कर चुके हैं और लगातार कर भी रहे हैं। इसी सिलसिले में इन दिनों नैनीताल रोड़ स्थित बुद्धा पार्क में क्रमिक अंनशन चल रहा है।

भारत बंद के कारण लगी धारा-144, लेकिन लोगों ने क्रमिक अंनशन जारी रखने का निर्णय लिया। अब संकट यह था कि कानून का पालन कैसे किया जाए। इसके लिए आंदोलन का नेतृत्व कर रहे सरताज आलम और उनके साथियों ने तय किया कि कोई एक ही बंदा क्रमिक अंनशन पर बैठेगा। इससे ना तो अंनशन टूटेगा और कानून का उल्लंघन होगा। तय किया गया कि नफीस अहमद खान क्रमिक अंनशन जारी रखेंगे। प्रशासन भी यह सोचकर बैठा था कि अगर आज यह आंदोलन टूट जाए, तो उनको कुछ दिन राहत मिलेगी, लेकिन वैसा हुआ नहीं।

यह हमें यह सिखाता है कि जहां एक ओर लोग भारत बंद और आरक्षण के नाम पर हिंसा फैला रहे हैं। वहीं, हम कानून के दायरे में रहकर भी अपनी बात और मांगों को प्रभावी ढंग से रख सकते हैं। बगैर कानून तोड़े भी आंदोलन किए जा सकते हैं। आंदोलन मे नारे लगाए बिना भी उसे जारी रखा जा सकता है। यह भी बताता है कि हम अपने लक्ष्य के लिए कितने सर्पित हैं। संघर्ष हमेशा कठिन होता है। बस उस संघर्ष को पार करने और जीने के तरीके आने चाहिए। हर मुश्किल आसां हो जाती है।

You May Also Like