एनआइवीएच को लेकर अब हाई कोर्ट ने दिए ये निर्देश..

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नैनीताल: हाईकोर्ट ने देहरादून के एनआइवीएच संस्थान में छात्राओं के साथ छेड़छाड़ और यौन शोषण के मामले को गंभीरता से लेते हुए तीन सप्ताह के भीतर स्थायी निदेशक की नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने एनआईवीएच की छात्राओं के शिक्षकों और स्टाफ के खिलाफ यौन शोषण के विरोध में अखबार में छपी खबर का संज्ञान लिया था। कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देशित किया है कि वो क्लीनिकल साइकॉलोजी के असिस्टेंट प्रोफेसर सुरेंद्र धलवाल को कारण बताओ नोटिस जारी करें जिसमें उनसे पूछा जाए कि कोर्ट को निरंतर गुमराह करने के लिए क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाए।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने  इन द मैटर ऑफ सेक्सुअल हैरेसमेंट एंड मोलेस्टेसन ऑफ स्टूडेंट इन द नेशनल इंस्टीटूट ऑफ विजुअल हैंडीकैप्ड देहरादून के रूप में जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने सोशियल जस्टिस एंड इम्पावरमेंट मंत्रालय को अलग से शपथपत्र पेश कर ये बताने के निर्देश दिए हैं कि उन्होंने 12 वर्षों तक इन विभाग का हैड कैसे बने रहने दिया। कोर्ट ने एनआईवीएच के निदेशक की नियुक्त करने में असफल होने पर भारत सरकार के सोशियल जस्टिस एवं इम्पावरमेंट मंत्रालय के प्रमुख सचिव को अगली सुनवाई पर समस्त कागजों के साथ उपस्थित रहने को कहा है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 अक्टूबर की तिथि नियत की। इस प्रकरण पर कोर्ट ने हाईकोर्ट के बाद ‌अध्यक्ष ललित बेलवाल व अमर शुक्ला को इस प्रकरण पर पैरवी के लिए न्यायमित्र नियुक्त किया है।
पूर्व में दिए गए सरकार को निर्देश
पूर्व में हाईकोर्ट ने सरकार को आदेशित किया था कि 7 दिन के भीतर वहां स्थायी रूप से डायरेक्टर की नियुक्ति करें, संगीत के टीचर को तत्काल सस्पेंड करें और उसके खिलाफ सेक्सुअल हरैसमेंट का केस दर्ज करें,  जिला अधिकारी देहरादून को निर्देश दिए थे कि छात्र छात्राओं की जाँच करने के लिए 12 घंटे के भीतर एक एमबीबीएस डॉक्टर की नियुक्ति करें,  एमडी पावर कारपोरेशन को निर्देश दिए थे कि वह तुरन्त बजली व्यव्स्था को दुरस्त करे और एक जनरेटर लगाये , एसएसपी देहरादून को निर्देश दिए कि वह दो लेडी एसआई और दो कोंस्टेबलो को भेजकर वहा नियमित  जाँच करे, सचिव सास्कृतिक को निर्देश दिए कि वहां दो महिला सदस्यों की नियुक्ति करे जो इन बच्चों को सांस्कृतिक गतिविधियां सिखाये और ऐसे कार्यक्रमों में प्रतिभाग कराएं, कोर्ट ने डी सेंथिल पांडियन को जाँच अधिकरी नियुक्त किया था, कोर्ट ने इनके मनोरंजन के लिए सरकार को निर्देश दिए थे कि एक माह के भीतर इनके लिए खेल मैदान स्वीकृत करे।

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