नीति आयोग की पहली बैठक आज, ममता-केसीआर और अमरिंदर नहीं होंगे शामिल

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नई दिल्ली: नई सरकार के गठन के बाद शनिवार को नीति आयोग की पहली बैठक आयोजित की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में कई राज्यों के मुख्यमंत्री और उप-राज्यपाल शामिल होंगे। हालांकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव इसमें शामिल नहीं होंगे।
लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा और तृणमूल कांग्रेस में बढ़ी खटास की वजह से ममता के शामिल न होने की अटकलें हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को सात जून को इस बारे में पत्र भी लिखा था। ममता नीति आयोग के पक्ष में नहीं हैं और उनका मानना है कि योजना आयोग इससे बेहतर कार्य करता था। केसीआर के बैठक में शामिल होने की वजह का पता नहीं चला है। वहीं पंजाब के मुख्यमं6ी खराब स्वास्थ्य की वजह से इसमें शामिल नहीं होंगे।
इससे पहले सात जून को ममता ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा था। जिसमें उनका कहना था कि नीति आयोग के पास कोई वित्तीय शक्तियां नहीं हैं और राज्य की योजनाओं का समर्थन करने की शक्ति नहीं है। इस वजह से मेरे लिए बैठक में शामिल होने का कोई मतलब नहीं है। पिछले कार्यकाल में भी ममता नीति आयोग की बैठकों से दूर ही थीं। वहीं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करेंगे। इसी विषय पर उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी।
माना जा रहा है कि कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री केंद्र सरकार और नीति आयोग के सामने अपने-अपने राज्यों की आवश्यकताओं के अनुरूप मांग उठाएंगे। इसकी रणनीति तैयार करने के लिए शुक्रवार शाम को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने दिल्ली स्थित आवास पर कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों को रात्रिभोज  पर बुलाया था।
दूसरी ओर, प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक का एजेंडा तय हो चुका है। आज की बैठक में जल प्रबंधन, कृषि, नक्सलवाद और सुरक्षा विषय पर राज्यों से विचार-विमर्श किया जाएगा। बैठक में  वित्त, गृह, रक्षा, कृषि, वाणिज्य और ग्रामीण विकास मंत्री मौजूद रहेंगे। इसके अलावा नीति आयोग के उपाध्यक्ष, सीईओ और सदस्य भी बैठक में शामिल होंगे।
आयोग की बैठक में पांच सूत्रीय एजेंडे पर चर्चा होगी। जिसमें महत्वाकांक्षी जिला स्तरीय कार्यक्रमों, खेती किसानी में क्रांति, सुरक्षा संबंधित मुद्दे और वामपंथी उग्रवाद की चपेट में आए जिलों पर चर्चा होगी। इसकी वजह लेफ्ट विंग के चरमपंथी समूह का देश की सुरक्षा के लिए खतरा बने रहना है।

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