अब भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीने को मजबूर कई गाँव

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संवाददाता: कृष्णपाल सिंह रावत
थत्यूड: प्रदेश में मैदानी इलाकों के साथ-साथ पहाड़ी इलाकों में भी पेयजल की समस्या बढती ही जा रही है। उदाहरण के तौर पर जौनपुर विकासखंड का ठक्कर कुदाऊं गाँव। जहां आज भी पानी की बूंद-बूंद को लोग तरस रहे हैं। एक तरफ सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं दूसरी तरफ आज भी पूरे उत्तराखंड में कई ऐसे गांव हैं जहां पानी की समस्या हमेशा बनी रही है।
पानी की किल्लत से जूझ रहे ग्रामीणों को 2 किलोमीटर दूर से पानी ढोने को  मजबूर होना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने अपनी पीड़ा व्यतीत करते हुए कहा कि,  सरकार हर गांव में प्रत्येक परिवार को स्वच्छ भारत के तहत शौचालय देने का दावा भी करती है लेकिन अगर शौचालय में पानी ही नहीं होगा तो वो शौचालय किस काम का। बात सोचने को मजबूर कर देती है, उत्तराखंड को बने हुए 19 साल हो गए लेकिन अब भी मूलभूत समस्याएं जस की तस है।
ग्राम प्रधान श्याम सिंह चंदोला व ग्रामीण संजय गुसाईं का कहना है कि, गांव सड़क से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गांव में सड़क नहीं होने के वजह से कास्तकारों को अपने सब्जियों, दालों व अन्य विक्रय करने वाले समान को सड़क तक पहुंचाने में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिसके साथ-साथ शादी-विवाह के जरूरी सामान को भी गांव तक पीठ पर रखकर गांव तक पहुंचाने के लिए मजबूर हैं। गांव में सड़क की वित्तीय स्वीकृति मिलने के बाद भी काम शुरु नहीं हो पाया है। ग्राम प्रधान स्याम सिंह चंदोला व समस्त ग्रामवासियों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि, जल्द-से-जल्द घट्टूखाल पम्पिंग योजना स्वीकृत किया जाये, ताकि ग्रामीणों को उचित मात्रा में पानी मिल सके। साथ ही चेतावनी भी दी है कि, यदि ये मांगे जल्द पूरी नहीं हुई तो समस्त ग्रामीण आंदोलन करने व आने वाले लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

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