मस्जिद में नमाज पढ़ना नहीं है जरूरी, अयोध्या मामले में 29 से सुनवाई

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नई दिल्ली: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद से जुड़े एक अहम मामले मस्जिद में नमाज इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है, पर सुप्रीम कोर्ट का आज अहम फैसला आ गया। आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1994 के संविघान पीठ के फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं है और यह मामला अब बडी बेंच में नहीं भेजा जाएगा। बता दें कि पिछले फैसले में कहा गया था कि मस्जिद में नमाज इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि मस्जिद में नमाज का मामला अयोध्या जमीन विवाद मामले से पूरी तरह अलग है।
20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुरक्षित रखा कि संविधान पीठ के 1994 के फैसले पर फिर विचार करने की जरूरत है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट टाइटल सूट से पहले अब वो इस पहलू पर सुनवाई कर रहा था कि मस्जिद में नमाज पढना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है या नहीं। कोर्ट ने ये कहा था पहले ये तय होगा कि संविधान पीठ के 1994 के उस फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है या नहीं कि मस्जिद में नमाज पढना इस्लाम का इंट्रीगल पार्ट नहीं है। इसके बाद ही टाइटल सूट पर विचार होगा।
फैसले के अपडेट
सरकार मस्जिद की जमीन का अधिग्रहण कर सकती है, इस फैसले पर पुनर्विचार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला अयोध्या जमीन विवाद से जुड़ा हुआ है। जस्टिस अब्दुल नजीर की राय बाकी दो जजों की राय से अलग। तीन में से दो जजों के बहुमत का फैसला। नमाज का मामला बड़ी बेंच के पास नहीं भेजा जाएगा। मस्जिद में नमाज का फैसला बड़ी बेंच में नहीं भेजा जाएगा। सीजेआई दीपक मिश्रा की ओर से जस्टिस भूषण ने कहा कि मामला बड़ी बेंच के पास नहीं भेजा जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के जज अशोक भूषण ने कहा कि इस मामले में दो विचार हैं। 1994 में पांच जजों के पीठ ने राम जन्मभूमि में यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया था ताकि हिंदू पूजा कर सकें। पीठ ने ये भी कहा था कि मस्जिद में नमाज पढना इस्लाम का इंट्रीगल पार्ट नहीं है। 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए एक तिहाई हिंदू, एक तिहाई मुस्लिम और एक तिहाई राम लला को दिया था। मुस्लिम पक्ष की तरफ से बहस करते हुए राजीव धवन ने तालिबान द्वारा बुद्ध की मूर्ति तोड़े जाने का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें ये कहने में कोई संकोच नही कि कि 1992 में जो मस्जिद गिराई गई वो हिन्दू तालिबानियों द्वारा गिराई गई। मुस्लिम पक्ष की तरफ से उत्तर प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार को इस मामले में न्यूट्रल भूमिका रखनी थी लेकिन उन्होंने इसको तोड़ दिया।

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