मानव श्रृंखला कार्यक्रम का मकसद ठीक, पूर्व तैयारी ख़राब; आमजन रहा परेशान: कांग्रेस

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देहरादूनः सिंगल यूज प्लास्टिक और पॉलीथिन के खिलाफ देहरादून में मानव श्रृंखला बनाई गई। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भी इस मिशन का हिस्सा बने। वहीँ कांग्रेस ने इस अभियान की तमाम व्यवस्थाओं को लेकर सवाल खड़े किए। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा महरा दसौनी ने कहा कि, मानव श्रृंखला के पीछे की मंशा या मकसद का कांग्रेस पार्टी स्वागत करती है, लेकिन जिस तरह से बिना पूर्व तैयारी के इस कार्यक्रम का आयोजन और क्रियान्वन किया गया, वह ठीक नही था, जिससे आमजन को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा।

उन्होंने कहा कि इस आयोजन को किसी छुट्टी या रविवार के दिन किया जाता तो बेहतर होता, इसको जिस वक्त पर किया गया, वह भी स्कूल एवं कार्यालय जाने का वक्त होता है। पीक ऑवर्स में इस अयोजन को करने से लोगों को आवाजाही में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। अव्यवस्थायें भी अपने चरम पर रही, छात्र-छात्रायें अपनी परिक्षाओं में समय से नही पहुँच पाये। निजी क्षेत्र में काम करने वाले भी अपने कार्यालयों में समय से नही पहुँच पाये। जगह-जगह एंबुलेंसेस को रोका गया, जिससे गंभीर रूप से बीमार लोगों को समय पर उपचार नही मिल पाया। इन सभी बातों को नजरअंदाज करना कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने वाले अयोजकों की संवेदनशीलता पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाता है।

उन्होंने कहा कि जिस तरह से बडबोलापन दिखाते हुए नगर निगम महापौर ने पचास किमी0 लम्बी मानव श्रृंखला और एक लाख लोगों की उक्त कार्यक्रम में शामिल होने की बात कहीं थी, उसका सच यह है कि जनता की भागीदारी इसमें ना के बराबर रही और स्कूल एवं कॉलेज के छात्र-छात्राओं को इसमें शामिल किया गया और महापौर के सारे दावे धत्ता सावित हुए। साथ ही इस मानव श्रृंखला में भी प्लास्टिक का जमकर इस्तेमाल हुआ। गरिमा ने कहा कि इस तरह के किसी भी कार्यक्रम की रूपरेखा बनाते समय जनता की परेशानियों को भी ध्यान में रखकर बनाने चाहिए।

इसके अलावा सप्ताहभर चलने वाले राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर राज्य सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रमों पर भी निशाना साधते हुए दसौनी ने कहा कि, राज्य आन्दोलनकारियों की उपेक्षा करना निंदनीय है। राज्य सरकार द्वारा उन राज्य आन्दोलनकारी, जिन्होंने अपना सर्वत्र राज्य आन्दोलन के लिए न्योछावर कर दिया, अपने परिवार और नौकरियों की भी चिन्ता न करते हुए पृथक राज्य आन्दोलन में झौंक दिया, आज राज्य सरकार के तमाम कार्यक्रम में उनका सम्मान करना तो दूर की बात उनका जिक्र तक न होना राज्य आन्दोलनकारियों का घोर अपमान है। उन्होंने कहा कि, राज्य की जनता यह कतई बर्दास्त नही करेगी, ये राज्य आन्दोलन की भावनाओं पर कुठाराघात है। राज्य सरकार एवं प्रशासन को ये भूल बहुत महंगी पडेगी।

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