‘मेजर ध्यानचंद’ की 113वीं जयंती आज, हिटलर भी था इनका बड़ा फैन

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देहरादून: आज हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद का 113वां जन्मदिन है। आज ही के दिन सन 1905 में दुनिया के इस महान खिलाड़ी का जन्म इलाहाबाद में हुआ था। उनके जन्मदिन को भारत के राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन हर साल खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न के अलावा अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार दिए जाते हैं। ध्यानचंद के खेल को देखकर हिटलर तक दीवाने हो गए थे। उन्होंने जर्मन सेना के कर्नल बनाने का प्रस्ताव रखा था। ध्यानचंद ने 16 साल की उम्र में भारतीय सेना जॉइन की। भर्ती होने के बाद उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया। ध्यानचंद काफी प्रैक्टिस किया करते थे। रात को उनके प्रैक्टिस सेशन को चांद निकलने से जोड़कर देखा जाता। इसलिए उनके साथी खिलाड़ियों ने उन्हें ‘चांद’ नाम दे दिया। ध्यानचंद ने 16 साल की उम्र में भारतीय सेना जॉइन की। भर्ती होने के बाद उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया। ध्यानचंद काफी प्रैक्टिस किया करते थे। रात को उनके प्रैक्टिस सेशन को चांद निकलने से जोड़कर देखा जाता। इसलिए उनके साथी खिलाड़ियों ने उन्हें ‘चांद’ नाम दे दिया।

1928 में एम्सटर्डम में हुए ओलिंपिक खेलों में वह भारत की ओर से सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी रहे। उस टूर्नमेंट में ध्यानचंद ने 14 गोल किए। एक स्थानीय समाचार पत्र में लिखा था, ‘यह हॉकी नहीं बल्कि जादू था। और ध्यानचंद हॉकी के जादूगर हैं। 1932 के ओलिंपिक फाइनल में भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका को 24-1 से हराया था। उस मैच में ध्यानचंद ने 8 गोल किए थे। उनके भाई रूप सिंह ने 10 गोल किए थे। उस टूर्नमेंट में भारत की ओर से किए गए 35 गोलों में से 25 गोल दो भाइयों की जोड़ी ने किए थे। ये थे रूप सिंह (15 गोल) और मेजर ध्यानचंद (10 गोल)। एक मैच में 24 गोल दागने का 86 साल पुराना यह रेकॉर्ड भारतीय हॉकी टीम ने इंडोनेशिया में जारी एशियाई खेलों में हाल ही में तोड़ा है। हाल ही में भारत ने हॉन्ग कॉन्ग को 26-0 से मात देकर यह रेकॉर्ड तोड़ा।

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट दिग्गज सर डॉन ब्रैडमैन ने 1935 में एडिलेड में ध्यानचंद से मुलाकात की। ध्यानचंद को खेलते देख, ब्रैडमैन ने कहा कि ध्यानचंद ऐसे गोल करते हैं जैसे क्रिकेट में रन बनते हैं। विएना के एक स्पोर्ट्स क्लब में ध्यानचंद के चार हाथों वाली मूर्ति लगी है, उनके हाथों में हॉकी स्टिक हैं। यह मूर्ति यह दिखाने का परिचायक है कि उनकी हॉकी में कितना जादू था।  ध्यानचंद ने 1928, 1932 और 1936 ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। तीनों ही बार भारत ने ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीता। दुनिया के सबसे महान हॉकी खिलाड़ियों में से एक मेजर ध्यानचंद ने अतंरराष्ट्रीय हॉकी में 400 गोल दागे। 22 साल के हॉकी करियर में उन्होंने अपने खेल से पूरी दुनिया को हैरान किया।

कहते हैं भारत की आजादी से पूर्व हुए ओलंपिक में सर्वश्रेष्ठ हॉकी टीम जर्मनी को 8-1 से हराने के बाद जर्मन तानाशाह हिटलर ने मेजर ध्यानचंद को अपनी सेना में उच्च पद पर आसीन होने और जर्मन नागरिकता का प्रस्ताव दिया था, लेकिन तब हिटलर के प्रस्ताव को ठुकराकर मेजर ध्यानचंद ने भारत और भारतीयों का सीना सदा-सदा के लिए चौड़ा कर दिया था।

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