जानिए… कैसे हुई एक माह में बेजेपी के तीन विधायकों की मौत

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देहरादून: फरवरी माह बेजीपी के लिए तीन बुरी खबरें लेकर आया। एक ही माह में बीजेपी के तीन विधायकों की एक के बाद एक मौत हो गई। 21 फरवरी को बिजनौर की नूरपुर सीट से विधायक लोकेंद्र सिंह चौहान की लखनऊ जाते हुए सीतापुर के पास सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। इसी दिन राजस्थान के नाथदेवड़ा सीट से विधायक कल्याण सिंह ने अमेरिका के एक अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। रविवार 25 फरवरी का बीजेपी ने उत्तराखंड की थराली सीट से  विधायक मगन लाल को भी खो दिया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। रविवार रात करीब 10ः25 बजे उन्होंने हिमालयन अस्पताल में अंतिम सांस ली।
बीजेपी के लिए फरवरी माह बुरा साबित हुआ। पहले उत्तर प्रदेश, राजस्थान और अब उत्तराखंड में बीजेपी के विधायकों की अलग-अलग कारणों से मौत हो गई। विधायकों की मौत से भाजपा में शोक की लहर है। रविवार को थराली विधायक मगन लाल की लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई। उनके निधन पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने गहरा दुख जताया। मगन लाल का राजनीतिक पदार्पण 1992-94 में हुआ था। उनको मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी राजनीति में लाये थे।

टाॅस जीतकर ब्लाक प्रमुख बने थे मगन लाल

 2002 के पहले चुनाव में बीजपी से टिकट मंगा लेकिन पार्टी ने टिकट नहीं दिया। वह लगातार पार्टी के लिए काम करते रहे। उन्होंने 2007 में फिर टिकट मांगा। इस बार भी टिकट नहीं दिया गया। इसके बाद त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव में अपने क्षेत्र पंचायत वार्ड गंडी कफौली क्षेत्र से क्षेत्र पंचायत सदस्य बने। ब्लाक प्रमुख के लिए दावेदारी की। बताया जाता है तक बीडीसी में दोनों दावेदारों के समर्थन में बराबर सदस्यों ने अपने वोट दिए। इसके बाद ब्लाक प्रमुख के लिए टाॅस कराया गया, जिसमें मगन लाल टाॅस जीते और ब्लाक प्रमुख बनाए गए।
लगातार टिकट मांगने के बाद भी पार्टी में बने रहे। 2012 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने मगन लाल शाह को टिकट दिया, लेकिन वे कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. जीतराम 400 वोट के अंतर से चुनाव हार गए। 2014 के त्रिस्तरीय पंचायती चुनावों में उनकी पत्नी मुन्नी देवी शाह चमोली की जिला पंचायत अध्यक्ष बनी। 2017 के विधानसभा चुनावों में एक बार फिर पार्टी ने मगन लाल को टिकट दिया। इस बार उन्होंने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के डॉ. जीतराम को 4300 से हराकर जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचे थे। इसके अलावा उनको संगठन में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गई थी।

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