मसूरी: ‘कारगिल विजय दिवस’ पर आईटीबीपी ने रैली निकाल दी शहीदों को श्रद्धांजलि

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मसूरी: भारतीय-तिब्बत सीमा पुलिस बल के अधिकारीयों और जवानों ने कारगिल विजय दिवस के मौके पर रैली निकाली। आईजी पीएस पापता के नेतृत्व में मसूरी माल रोड पर यह रैली निकाली गई। इस दौरान कारगिल शहीद अमर रहे के नारे लगाए गए। साथ ही शहीदों की कुर्बानियों को भी याद किया गया, जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान देश की रक्षा के लिए अपनी जानों को न्योछावर कर दिया।

इस मौके पर पीएस पापता ने कहा कि, जन चेतना के लिए इस रैली का आयोजन किया गया, जिससे नई पीढ़ी के लोग कारगिल विजय दिवस के बारे में जान सके। उन्होंने कहा कि, यह कार्यक्रम अगले सात दिनों तक चलाया जायेगा। साथ ही उन्होंने देश के युवाओं को सन्देश देते हुए कहा, ‘मजबूत बने, सक्षम बने’ देश की प्रगति की राह पर वह अपना सहयोग दें। युवाओं के मजबूत होने से ही सेना मजबूत होगी,  सेनाएँ युवाओं के वजह से ही आगे बढती  है।

बता दें कि, भारत ने 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध (Kargil War) में विजय हासिल की थी। कारगिल युद्ध में भारत की जीत के बाद से हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) मनाया जाता है। यह दिन कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों के सम्मान हेतु मनाया जाता है।

कारगिल युद्ध, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है, भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के कारगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है। कारगिल युद्ध (Kargil War) लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई को उसका अंत हुआ।

भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्ज़े वाली जगहों पर हमला किया और धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से पाकिस्तान को सीमा पार वापिस जाने को मजबूर किया। यह युद्ध ऊंचाई वाले इलाके पर हुआ और दोनों देशों की सेनाओं को लड़ने में काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। पाकिस्तानी घुसपैठियों के खिलाफ सेना की ओर से की गई कार्रवाई में भारतीय सेना के 527 जवान शहीद हुए तो करीब 1363 घायल हुए थे। इस लड़ाई में पाकिस्तान के करीब तीन हजार सैनिक मारे गए थे, मगर पाकिस्तान मानता है कि उसके करीब 357 सैनिक ही मारे गए थे। कारगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और जांबाजी का ऐसा उदाहरण है जिस पर हर देशवासी को गर्व होना चाहिए।

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