कांगो मिशन में ले. कर्नल सोलंकी ने साथी को बचाने के लिए दी जान, IMA में थी खास पहचान, 7 दिन बाद शव बरामद

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किन्शाशा: संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन के तहत डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (डीआरसी) में मिलिट्री स्टॉफ ऑफिसर के रूप में तैनात भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी की झील में डूबने से मौत हो गई। वे रविवार (8 सितंबर) को यहां की लेक कीवु झील में कयाकिंग करने गए थे।

शांति मिशन की ओर से बताया गया कि उनका सहयोगी डूब रहा था और उसे बचाने में गौरव की जान चली गई। उनका शव सात दिनों बाद मिला। लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी शनिवार दोपहर से लापता थे। उसके बाद तलाशी अभियान शुरू किया गया था।

डीआरसी में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय को मोनुस्को के नाम से जाना जाता है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के डिप्टी स्पेशल रिप्रजेंटेटिव फ्रैंकोइस ग्रिगनोन ने लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी की समर्पण भावना की तारीफ की।

मिशन के तहत मोनुस्को में फिलहाल 2,613 भारतीय सैनिक सेवाएं दे रहे हैं। लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी को आगामी 16 सितंबर को भारत वापस आना था। वापस आने पर अगले कुछ दिनों में भारत में अपने रेजिमेंट में शामिल होने वाले थे।

2003 में वे इंफाल कंपनी आईएमए से सीनियर अंडर अफसर के तौर पर पासआउट हुए। साल 2010 से 2012 तक इंडियन मिलिट्री अकेडमी में सीएलबी इंस्ट्रक्टर के तौर पर कार्यरत रहे। 2017 में उन्होंने DSSC की पढ़ाई पूरी की और बुकर सम्मान से नवाजे गए। गौरव सोलंकी ने  आईएमए में क्रिकेट और टेनिस में भी अच्छा खासा नाम कमाया। गौरव सोलंकी के साथी के अनुसार, शहीद भगत सिंह गौरव सोलंकी के प्रेरणा स्रोत थे और वे जंग में शहादत पाने की इच्छा रखते थे।

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