जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल का राज 

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नई दिल्लीर : भाजपा और पीडीपी के बीच जम्मू.कश्मीर में तीन साल से चला आ रहा गठगंधन आखिरकार टूट गया है। दोनों दलों के बीच गठबंधन के शुरू से ही कई मसलों पर असहमती रही। इन दिनों सीजफायर को लेकर भी दोनों दलों के बीच काफी विवाद सामने आया। इसको लेकर ही बीजेपी ने पीडीपी से गठबंधन वापस लिया है। जम्मू.कश्मीर में अब किसी दल की सरकार बनना फिलहाल संभव नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में गवर्नर रूल ही एक मात्र विकल्प बचता है।
जम्मू.कश्मीर में पीडीपी से गठबंधन को जारी रखने में भाजपा 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी अपने लिए नुकसान देख रही थी। इसके चलते ही यह निर्णय लिया गया है। दूसरा यह कि सीजफायर को जारी रखने के लिए केंद्र सरकार तैयार नहीं थी। जबकि पीडीपी हर हाल में सीजफायर को जारी रखने के पक्ष में थी।
अब देखना यह होगा कि केंद्र सरकार क्या करती है। कश्मीर में इन दिनों आतंकी घटनाएं काफी बढ़ गई हैं। सीजफायर के दौरान आतंकी गतिविधियों में कई गुना बढ़ोतरी हुई। इसको लेकर भाजपा की काफी आलोचना भी हो रही थी। ऐसे में भाजपा के पास पीडीपी से समर्थन वापस लेने का एक मात्र विकल्प बचा था।
इधरए जम्मू.कश्मीर में किसी दूसरे गठबंधन की सरकार बनने के कोई आस नजर नहीं आ रहे हैं। कांग्रेस पहले ही साफ कर चुकी है कि किसी भी हाल में पीडीपी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। नेशनल कांफ्रेस और पीडीपी मिलकर सरकार बनाना भी चाहेंगेए तब भी उनके पास बहुत तक पहुंचने जितनी संख्या नहीं बन पाएगी। भाजपा किसी दूसरे दल के साथ अब सरकार बनाने के बारे में नहीं सोच रही है। इससे एक बात तो तय है कि जम्मू.कश्मीर में गवर्नररूल ही लगाया जाएगा।

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