गोपालमणि महाराज को हल्के में लेना बीजेपी-कांग्रेस को पड़ सकता है भारी

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देहरादून: लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही चुनावी सरगर्मियां भी बढ़ने लगी हैं। टिहरी लोकसभा सीट पर भाजपा को अब तक मजबूत माना जा रहा था, क्योंकि कांग्रेस के पास फिलहाल कोई ऐसा चेहरा नहीं है, जिसके दम पर कांग्रेस जीत का दावा करती। इसी समीकरण को देखते हुए भाजपा टिहरी सीट को लेकर चिंतित नजर नहीं आ रही थी, लेकिन राजनीति में कुछ भी हो सकता है। ऐसा ही कुछ टिहरी सीट पर भी होने जा रहा है। विश्व प्रसिद्ध संत गोपालमणि महाराज ने टिहरी सीट से निर्दलीय मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है। भाजपा-कांग्रेस भले ही उनको ज्यादा गंभीरता से नहीं लेने की बातें कह रही हों, लेकिन उनका टिहरी संसदीय क्षेत्र समेत पूरे उत्तराखंड में खासा प्रभाव है। उनको चुनाव में लोगों का कितना साथ मिलता है, यह देखने वाली बात होगी। लेकिन, अगर चुनाव मजबूती से लड़े तो भाजपा-कांग्रेस को ठन-ठन गोपाल भी कर सकते हैं।

गाय की अनदेखी से नाराज
दरअसल, राष्ट्रीय संत गोपालमणि महाराज गौ सेवा को लेकर लगातार अभियान चला रहे हैं। गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने की मांग भी लंबे समय से करते आए हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने गौ संरक्षण को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए। उन्होंने कई बार पीएम मोदी से मिलने का समय भी मांगा, लेकिन उनको मिलने का समय नहीं दिया गया। इससे वे बेहद नाराज हैं। इसी कारण चुनाव लड़ने का ऐलान भी किया है। उनके मुख्य मुद्दे गाय, गंगा, किसान और रोजगार रहेंगे।

लोगों तक सीधी पहुंच
गोपालमणि के प्रभाव की बात करें तो टिहरी संसदीय सीट पर उनका खासा प्रभाव है। देहरादून से लेकर टिहरी, उत्तरकाशी में महाराज के भक्तों की बड़ी संख्या है। भाजपा-कांग्रेस में भी उनके भक्त कई बड़े नेता हैं। दोनों ही दलों में उनके समर्थकों की अच्छी-खासी संख्या है। इसके अलावा गौ सेवा और गौ संरक्षण को लेकर काम करने वाले भाजपा समर्थित संगठन भी उनके साथ लंबे समय से काम कर रहे हैं। उनकी आम लोगों तक सीधी पहुंच है।

सभी जिलों में नेटवर्क
गोपालमणि के पक्ष में एक बात ये भी जाती है कि उनका हर जिले में मजबूत नेटवर्क है। खासकर टिहरी, उत्तरकाशी की गंगा और यमुना घाटी में उनका जबरदस्त प्रभाव है। देहरादून में कई बार कथाएं कर चुके हैं। उनको सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु ना केवल देहरादून से बल्कि प्रदेश के सभी इलाकों से पहुंचते हैं। उनको मजबूत नेटवर्क का भी लाभ मिल सकता है। गोपालमणि को देश के बड़े-बड़े संतों का भी साथ मिल सकता है। उत्तराखंड में टिहरी संसदीय क्षेत्र के कई कथा वाचक उनके शिष्य हैं। कथा वाचकों का भी अपने-अपने क्षेत्रों में खासा प्रभाव है, जिसका लाभ गोपालमणि उठा सकते हैं।

बहुत चर्चित कथा वाचक
गोपालमणि महाराज उत्तराखंड में उस जमाने से कथा वाचन कर रहे हैं, जब कथा वाचक बहुत कम होते थे। तब गोपालमणि ही सबसे लोकप्रिय माने जाते थे। उनकी कथाओं को सुनने के लिए कथा पंडालों में जगह नहीं मिल पाती थी। गोपालमणि महाराज आज भी लोगों के घर-घर को जानते हैं। जिस भी क्षेत्र में जाते हैं, लोगों को नाम और चेहरे से पहचानते हैं। उनकी ये गहरी पैठ भी उनको मजबूत दावेदार बनाती है। हालांकि यह देखने वाली बात होगी कि चुनाव प्रचार के दौरान वो लोगों को कितना रिझा पाते हैं।

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