धरातल पर दम तोडती योजनाएं, गरीबों तक न पहुँच के विज्ञापनों तक सिमटी योजनायें

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बागेश्वर: देश में एक ओर जहां इस दौर में डिजिटल इंडिया कि बात हो रही है और देश को स्मार्ट बनाने के लिये देश के प्रधानमंत्री 100 से अधिक योजनाये बनाकर विज्ञापनों के माध्यम से अपनी सरकारों का खूब गुणगान गा रहे हैं। लेकिन धरातल पर वास्तविकता कुछ और ही है। प्रधानमंत्री आवास योजना और अन्य योजनाएं धरातल पर कहाँ खडी है, इन योजनाओं की वास्तविक हालत बताती है हरीनगरी गाँव के दिवान राम की कहानी।

दिवान राम एक गरीब व्यक्ति है। एक टूटी-फुटी झोपडी मे रहता है।  वही उसके दो गाय, चार बकरी सहित उसका चार लोगो का परिवार रहता है।  दिवान राम मजदूरी करके दो जून की रोटी अपने बच्चो को दे पाने मे भी असमर्थ है। दिवान राम की पत्नी लोगों के छोटे-मोटे काम करके जैसे-तैसे अपने बच्चों  को रोटी का निवाला खिला रही, लेकिन  इस जीवन को अपनी तकदीर की लिखी लेख को मान कर यह परिवार जानवरो के साथ जीने को मजबूर है। इस गरीब की मजबूरी के ऑसू पोछने वाला कोई नही है। सरकारी नुमाईदे  केवल कागजों की खाना पूर्ति करने तक सिमित हैं। जहां कोई भी जनप्रतिनिधि को छाकने तक की जहमत नही उठाता है।  सरकार की सभी योजनाएं यहं फेल होती दिख रही है।  विगत कुछ दिन पहले दिवान राम के पुत्र दीपक को गुलदार ने अपना निवाला बना लिया था। तब  से दिवान राम का परिवार व उसकी आर्थिक कठिनाईयां सामने आयी है। लेकिन जनप्रतिनिधियो की ओर से  कोई सहयोग दिवान राम के परिवार को नही मिल पाया है। केवल बच्चे की मौत का कुछ मुआवजा देकर  ही प्रशाशन ने इतिश्री कर दी है। अब इस गरीब के दुखडे को सुनने वाला तक कोई नही है।
पीडित गरीब दिवान राम  बताते हैं कि, मैं और मेरा परिवार मवेशीयो के साथ एक ही साथ रहते हैं। ग्राम प्रधान के आश्वसनो के आधार पर मे जी रहा हूं। मकान बनाने की नही यहां दो जून की रोटी खाने के लाले पडे हुये हैं। ग्राम प्रधान से आगे  जाने की मेरी हैसियत नही है।  मेरे 8 साल के बच्चे को तेंदुआ उठा ले गया है। मै तब से सदमे में हूं। वहीँ पत्नी हीरा देवी बच्चे के दुख में रोने के अलावा कुछ कह नही पायी।
ग्राम प्रधान लक्ष्मण सिह का कहना है कि, मेरे द्वारा कई बार ब्लॉक गरूड में दिवान राम को आवास दिलाने हेतु कई आवेदन मेरे स्तर से हो गये हैं, लेकिन अभी तक कोई भी आवास मेरे गाँव को नही मिले हैं। दिवान राम की वालिया हालत काफि मुश्किल भरी है। वह विकलांग भी है। कई साल पहले जिलाधिकारी डीएस मनराल आये थे। उसके बाद कोई भी अधिकारी गाँव में झाकने तक नही आया। विधायक चन्दन राम पर सवाल खडे करते हुये ग्राम प्रधान बताते हैं कि, विद्यायक है भी या नही ये हमे पता तक नही है। अभी तक इस क्षेत्र मे विधायक ने जन समस्याओ को सुनने  तक  की जहमत नही उठाई  है।

वहीँ समाज सेवी भी दिवान राम की गरीबी और बेबसी से निजात दिलाने के लिये  अब प्रशाशन और शाशन से गुहार लगा रहे हैं। समाज सेवी भगवत सिह का कहना है कि इस गरीब दिवान सिह कि माली हालत काफी खराब है, मेहनत मजदूरी करके जैसे-तैसे अपने परिवार का भरण-पोषण करता है। प्रशाशन का हमारे गाँव की ओर कोई ध्यान नही है। केवल बडी घटनाओ मे ही जनप्रतिनिधियो का आगमन ढाढस बंधाने को होता है। और व्यापार मंण्डल के अध्यक्ष हरीश सोनी भी दिवान राम की गरीब को आज के समय मे हम सब के लिये कंलक बताते है। उन्होंने जिलाधिकारी से अपील की है कि, जमीनी रूप मे योजनाओ का संपादन हो रहा है या नही, इस विषय पर भी अधिकारीयो की बैठके लें।
प्रशाशनिक बयानो मे बीडीओ गरूड का कहना है कि, ग्राम सभा पंचायतो से ग्राम पंचायतों के प्रस्ताओं  के आधार पर आवास देने के लिये सरकारी प्रणाली है। उसमे जनरल कोटा और आरक्षित कोटा है। लोगो के नबंर आने के बाद ही मकान देने की सरकारी प्रणाली है। अभी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हमारे द्वारा विगत लम्बे समय से जो प्रस्ताव पेंडिंग थे, उन्हें भारत सरकार को भेजा है। उसमें से एक नाम दिवान राम का  भी है।

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